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Bihar liquor ban: पौने 6 साल की शराबबंदी में दो लाख केस... फिर भी नहीं थम रहीं जहरीली शराब से होने वाली मौतें

Bihar liquor ban: बिहार में एक बार फिर शराबबंदी पर सवाल खड़े हो गए. अब नालंदा जिले में जहरीली शराब पीने से 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. सरकार ने कार्रवाई करते हुए एसएचओ को सस्पेंड कर दिया है.

बिहार में शराबबंदी के बावजूद लाखों लीटर शराब जब्त होती है. (फाइल फोटो-PTI) बिहार में शराबबंदी के बावजूद लाखों लीटर शराब जब्त होती है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST
  • नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें
  • सोहसराय थाने के एसएचओ सस्पेंड हुए

Bihar Liquor Ban: बिहार में एक बार फिर से शराबबंदी पर सवाल खड़े हो गए हैं. अब नालंदा जिले के सोहसराय में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो चुकी है. नालंदा जिले के एसपी ने लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि इस घटना के सोहसराय थाने के एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है. दो महीने पहले ही गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हुई थी.

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दो महीने पहले हुए शराबकांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सख्त निर्देश दिए थे कि जिस इलाके में शराब मिलेगी, उसके थानेदार तुरंत सस्पेंड होंगे. उन्होंने ये भी कहा था कि न शराब आने देंगे और न ही किसी को पीने देंगे.

हालांकि, आंकड़े ये भी बताते हैं कि इतनी सख्ती के बाद भी बिहार में शराब पकड़ी गई है. 4 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया था कि 26 नवंबर से 2 जनवरी के बीच बिहार में 13,013 केस दर्ज किए गए हैं. इनमें 2.31 लाख लीटर देसी और 3.55 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है. ये आंकड़े बताते हैं कि शराबबंदी वाले बिहार में अब भी बिहार आसानी से पहुंच जा रही है.

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2016 से लागू है शराबबंदी

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने शराबबंदी (Alcohol Ban) करने का वादा किया था. उनके इस वादे का असर ये हुआ था कि महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60 के करीब हो गया था. कई इलाकों में तो 70 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया था.

सरकार बनने के बाद अप्रैल 2016 में बिहार में शराबंबदी का कानून आया. 1 अप्रैल 2016 को बिहार देश का 5वां ऐसा राज्य बन गया जहां शराब पीने और जमा करने पर प्रतिबंध लग गया. 

कानून का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 2.03 लाख मामले सामने आए हैं. इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू हो गया है. 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल शुरू होना अब भी बाकी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर तक 1 हजार 636 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है. इनमें से 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिल चुकी है. जबकि, 610 मामलों में आरोपी बरी हो चुके हैं.

बिहार में शराब की खपत महाराष्ट्र से ज्यादा

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बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन यहां शराब की खपत महाराष्ट्र से भी ज्यादा है. महाराष्ट्र में शराबबंदी नहीं है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के आंकड़े बताते हैं कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है.

आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 15.5% पुरुष शराब पीते हैं. जबकि, महाराष्ट्र में शराब पीने वाले पुरुषों की तादात 13.9% है. हालांकि, 2015-16 की तुलना में बिहार में शराब पीने वाले पुरुषों में काफी कमी आई है. 2015-16 के सर्वे के मुताबिक, बिहार में करीब 28 फीसदी पुरुष शराब पीते थे.

NFHS-5 के आंकड़े ये भी बताते हैं बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों में महाराष्ट्र की तुलना में शराब पीने वालों की संख्या ज्यादा है. बिहार के ग्रामीण इलाकों में 15.8% और शहर में 14% पुरुष शराब पीते हैं. वहीं, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में 14.7% और शहरी इलाकों में 13% पुरुष शराब का सेवन करते हैं.

बिहार में नहीं थम रही जहरीली शराब से मौतें

एक रिपोर्ट बताती है कि बिहार में 2021 में जहरीली शराब के 13 मामले सामने आए, जिनमें कम से कम 66 लोगों की मौत हो गई. नवंबर में गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण में जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हो गई थी. इससे पहले जुलाई में भी पश्चिमी चंपारण जिले में 12 लोगों की मौत हो गई थी.

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