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बिहार: मंत्री के भाई के बाद अब दूसरे मंत्री के बेटे पहुंचे योजना का निरीक्षण करने, मचा बवाल

बिहार सरकार में मंत्री रामप्रीत पासवान के बेटे के नल-जल योजना के निरीक्षण करने जाने पर बवाल हो गया है. विधान परिषद और विधानसभा दोनों ही जगह विपक्ष ने इस मसले पर हंगामा किया.

मंत्री के बेटे (गुलाबी शर्ट) की फोटो हुई थी वायरल मंत्री के बेटे (गुलाबी शर्ट) की फोटो हुई थी वायरल
उत्कर्ष कुमार सिंह
  • पटना,
  • 16 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST
  • बिहार विधान परिषद में विपक्ष का हंगामा
  • मंत्री के बेटे के योजना के निरीक्षण करने पर बवाल

बिहार में चुनाव के बाद जब से नई सरकार बनी है, विपक्ष लगातार किसी ना किसी मुद्दे पर उसे निशाने पर ले रहा है. बीते दिनों मंत्री मुकेश सहनी की जगह उनके भाई एक सरकारी कार्यक्रम में पहुंचे थे, जिसका विपक्ष ने विरोध किया था. अब एक और मामला सामने आया है, जहां मंत्री के बेटे नल-जल योजना का निरीक्षण करने पहुंच गए.

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दरअसल, बिहार सरकार में मंत्री रामप्रीत पासवान के बेटे पूर्णिया जिले में कई पंचायतों में नल-जल योजना का निरीक्षण करने पहुंचे. अब मंत्री के बेटे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं.

मंगलवार को बिहार विधानमंडल में विपक्ष ने इसपर जमकर बवाल किया. शून्यकाल के दौरान कांग्रेस-राजद सदस्य सदन में अखबार लेकर पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. 

यहां जैसे ही शून्यकाल की शुरुआत हुई, तो कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने अखबार की खबर दिखाते हुए सरकार पर सवाल दागे. सवाल न पूछे दिए जाने से नाराज़ विपक्षी नेता अखबार लेकर वेल में पहुंच गए और हंगामा करने लगे.

मंत्री ने दिया विपक्ष के आरोपों का जवाब 
वहीं, सदन में तब मंत्री रामप्रीत पासवान भी खड़े होकर विरोधियों को जवाब दे रहे थे. अपने बेटे का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उनका बेटा उनके साथ गया था, इसमें किसी को क्या आपत्ति है? हालांकि, विधान परिषद सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्षी नेताओं को सीट पर जाने और ये सवाल पूछने के लिए उचित समय दिए जाने की बात कही. 

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सिर्फ विधानपरिषद ही नहीं बल्कि विधानसभा में भी ये मसला जमकर उठा. RJD विधायक ललित यादव ने जैसे ही इस मुद्दे को उठाया, विधानसभा अध्यक्ष ने साफ लहजों में इस मुद्दे पर चर्चा से इंकार कर दिया.

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने विधायक को नियमावली के अनुसार किसी मंत्री या सदस्य पर आरोप लगाने के लिए पुख्ता सबूतों के साथ अध्यक्ष को पहले से लिखित में सूचना देने की नसीहत दी.

 

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