
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग पर पटना हाईकोर्ट का लगाया बैन हटा दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन यानि NBA को नोटिस जारी कर ऐसे अपराधों में मीडिया रिपोर्टिंग के लिए गाइडलाइन बनाने में सहयोग मांगा है.
मीडिया रिपोर्टिंग से बैन हटाने का आदेश देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बच्चियों के साथ यौन अपराधों के मामले में मीडिया की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग पर भी सवाल उठाए. सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आत्मचिंतन करें कि ये क्या हो रहा है? रिपोर्टिंग की शक्ल जिस तरह से सामने आ रही है उससे तो लगता है कि ये मीडिया ट्रायल नहीं बल्कि मीडिया जजमेंट है. क्योंकि मीडिया पहले ही आरोपियों को दोषी करार दे चुका है.
कोर्ट ने कहा, '' ये तय है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर ब्लैंकेट बैन नहीं लगाया जा सकता लेकिन कोई रेखा तो होनी चाहिए.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयकर विभाग मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके एनजीओ की प्रॉपर्टी की जांच करे. जांच इस बात की भी हो कि बिहार सरकार से इस एनजीओ को मिले साढ़े 4 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कहां और कैसे हुआ?
कोर्ट ने बिहार पुलिस से कहा कि मामले में सह अभियुक्त चंद्रशेखर वर्मा और मंजू वर्मा को हथियारों के लाइसेंस कैसे मिले? वहीं कोर्ट में सीबीआई की रिपोर्ट में एक नई बात सामने आई है. इसमें खुलासा हुआ है कि इन तीनों अभियुक्तों के ख़ौफ की वजह से शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियां हों या आसपास रहने वाले लोग, कोई भी जुबान खोलने को तैयार नहीं है.