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कोसी के पानी में डूब गया मधेपुरा का फुलौत गांव, बाढ़ पीड़ित लगा रहे सरकार से मदद की गुहार

मधेपुरा जिले का फुलौत गांव करीब एक महीने से कोसी के पानी में डूबा हुआ है. यहां के लोग एक पुल पर शरण लिए हैं. आजतक से बात करते हुए उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अबतक सरकार की ओर से नाव की व्यवस्था भी नहीं कराई गई है.

कोसी के पानी में डूबा मधेपुरा का फुलौत गांव कोसी के पानी में डूबा मधेपुरा का फुलौत गांव
रोहित कुमार सिंह
  • मधेपुरा,
  • 17 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:00 PM IST

पिछले कुछ दिनों में कोसी नदी में बढ़ते जलस्तर का प्रकोप मधेपुरा जिले में भी देखने को मिला है जहां चौसा प्रखंड अंतर्गत फुलौत गांव पिछले करीब एक महीने से जलमग्न है. आजतक की टीम बुधवार को मधेपुरा के फुलौत गांव पहुंची और वहां पर जब हालात का जायजा लिया तो पता चला कि सैकड़ों की संख्या में बाढ़ प्रभावित लोग अपने घरों को छोड़कर पास के एक पुल पर शरण लिए हुए हैं. 

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स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक महीने जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है जिसकी वजह से उनको अपना घर पर शरण देना पड़ा है. 100 मीटर लंबे स्कूल पर लोगों ने तिरपाल लगाकर अपने परिवार समेत मवेशियों के साथ आसरा लिया हुआ है.  

पुल पार करने के बाद करीब आधा दर्जन गांवों को जोड़ने वाली सड़क भी पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है. इस सड़क पर 4 से 5 फीट तक पानी भरा हुआ है. सड़क मार्ग का संपर्क गांव से टूटने के बाद लोगों को अब अपने गांव से आने जाने के लिए केवल नाव का ही सहारा बचा है. आजतक की टीम जब मौके पर थी तो एक नाव पर कुछ महिलाएं अपने गांव की तरफ जा रही थी.

आजतक से बातचीत के दौरान इन महिलाओं ने बताया कि इनका गांव पिछले एक महीने से जलमग्न है और प्रशासन इनकी सुध तक नहीं ले रहा है. फुलौत गांव की रहने वाली सीमा देवी ने कहा, “3 महीना से हम लोग डूब रहे हैं लेकिन हम लोग को देखने वाला कोई नहीं है. खाने-पीने का प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं किया है.” 

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इसी गांव के एक अन्य निवासी परमिंदर कुमार ने बताया, “पानी अभी और आएगा. पानी का स्तर और बढ़ेगा. हर साल हजारों की आबादी प्रभावित होती है. हर साल हजारों लोग अपने घर को छोड़ कर निकल जाते हैं."

स्थानीय लोगों की शिकायत है कि प्रशासन उनके मुश्किलों का कोई समाधान नहीं निकाल रहा है और ना ही उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था कर रहा है. बाढ़ प्रभावित लोगों का यह भी आरोप है कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई नाव भी मुहैया नहीं कराई गई है ताकि वह अपने गांव से आना-जाना कर सकें. 

 

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