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Explainer: बिहार में शराब पीने वाले को जेल से सीधे राहत नहीं, पहले बताना होगा बेचने वाले और सप्लायर का नाम

नीतीश सरकार की शराबबंदी पर विपक्ष के नेता भी सवाल उठाते आए हैं. इस कानून को लेकर पुलिस के कामकाज के तरीकों पर खुद विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने सवाल खड़े कर दिए थे.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सुजीत झा
  • पटना,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST
  • माफिया के नेटवर्क को तोड़ने का लिया फैसला
  • सूचना मिलने पर सप्लायर के ठिकाने पर रेड करेगी पुलिस

शराबबंदी वाले बिहार में शराबियों के खिलाफ कानूनों में नरमी बरतने के आदेश पर बहस छिड़ गई है. दरअसल, बिहार की नीतीश सरकार ने शराब पीने वालों के लिए सजा का प्रावधान खत्म कर दिया है. हालांकि, इसके लिए शराब पीने वाले व्यक्ति को यह बताना होगा कि उसने किस सप्लायर से शराब खरीदी है.

आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर कृष्णा कुमार ने बताया कि शराबी को छूट देने का फैसला शराब माफिया के नेटवर्क पर लगाम कसने के लिए लिया गया है. अगर कोई व्यक्ति शराब पीता हुआ पकड़ा जाता है तो उससे सीधे शराब बेचने वाले का नाम और पता पूछा जाएगा. जानकारी मिलने पर बताए गए पते पर रेड की जाएगी. अगर जानकारी सही मिलती है तो उसे शराब पीने को सजा नहीं होगी.

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2016 में हुई थी शराबबंदी

नीतीश सरकार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी का फैसला किया था. फैसले के एक साल बाद सीएम नीतीश कुमार ने राज्य की महिलाओं से इसका प्रभाव पड़ने का वादा किया था. हालांकि, शराबबंदी कानून को ठीक तरीके से लागू करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा. पिछले नवंबर में रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया कि शराब से हुई त्रासदियों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई है.

बता दें कि बिहार के बाहर से आने वाले लोगों गिरफ्तारी और शादी की पार्टियों पर छापेमारी से लोगों में काफी आक्रोश था. सीएम नीतीश जनसभाओं के माध्यम से शराबबंदी को प्रभावी बनाने और इसे रोकने के लिए पुलिस कर्मियों को हेलीकॉप्टर, ड्रोन, सैटेलाइट फोन, मोटरबोट जैसे संसाधनों से लैस करने की कोशिशों में लगे हैं.

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50 हजार लोगों की गिरफ्तारी ने बढ़ाया बोझ

बिहार सरकार ने 2021 के नवंबर में एक आंकड़ा जारी किया था. आंकड़े ने लोगों को चौंका दिया था. इसमें बताया गया था कि जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक छापेमारी कर 49 हजार 900 लोगों की गिरफ्तारी की गई. इसमें शराबियों के साथ-साथ शराब तस्कर भी शामिल थे. साथ ही इस दौरान कुल 38 लाख 72 हजार 645 लीटर अवैध शराब जब्त की गई थी. जेलों के साथ-साथ बिहार की अदालतों पर भी शराबबंदी के मामलों का बोझ बढ़ गया था. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. कोर्ट में जमानत याचिका के लगे अंबार पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की थी. मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होनी है, इससे पहले बिहार सरकार ने अब गिरफ्तारी ना करने का बड़ा फैसला ले लिया है. शराबबंदी के बाद बिहार में शराब तस्कर एक्टिव हो गए थे, जिसको लेकर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा था.

नीतीश सरकार की शराबबंदी को राज्य में फेल बताया जाता रहा है. पुलिस के कामकाज के तरीकों पर तो खुद विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने सवाल खड़े कर दिए थे. उन्होंने कहा था कि शराब की अगर 100 बोतल पकड़ी जाती हैं, तो पुलिस सिर्फ 5 दिखाती है.

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