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EWS रिजर्वेशन पर केंद्र को मिला नीतीश कुमार का साथ, बिहार CM ने उठाई ये भी मांग

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के EWS पर फैसले का स्वागत किया है. नीतीश ने मांग की है कि केंद्र सरकार को ओबीसी कोटे की 27 फीसदी सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही केंद्र के कुल 50 प्रतिशत के दायरे को भी बढ़ाने की अपील की है.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार. बिहार के सीएम नीतीश कुमार.
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 08 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने EWS पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. इसके साथ ही उन्होंने जाति कार्ड भी खेला है. नीतीश ने केंद्र सरकार से आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग रख दी है. इसके साथ ही उन्होंने ओबीसी के 27 प्रतिशत कोटे में इजाफा करने की मांग भी की है. नीतीश का कहना था कि केंद्र को इन पर मांगों पर ध्यान देना चाहिए.

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सीएम नीतीश कुमार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण जारी रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा को 27% से बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति को 15% और अनुसूचित जनजाति को 7.5% आरक्षण का प्रावधान उनकी जनसंख्या के अनुसार है लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ऐसा नहीं है. 

आरक्षण की सीमा को 50% से बढ़ाने की मांग

नीतीश ने आगे कहा- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाई जानी चाहिए. क्योंकि अन्य पिछड़े वर्गों को उनकी आबादी के अनुसार पर्याप्त आरक्षण नहीं मिलता है. इसके लिए देश में जाति आधारित जनगणना कराना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने की प्रक्रिया शुरू की है जो सभी जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी विचार करेगी.

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बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है. 5 जजों की बेंच में से 3 जजों ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट में इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है. दरअसल, केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. 

आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 5 जजों की बेंच में 3 जजों जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया. जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट्ट ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई है.

देशभर में अभी 49.5 प्रतिशत आरक्षण

EWS के लिए 10 प्रतिशत
ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत
एससी के लिए 15 प्रतिशत
एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत

क्या है EWS कोटा? 

जनवरी 2019 में मोदी सरकार संविधान में 103वां संशोधन लेकर आई थी. इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. कानूनन, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50 फीसदी सीमा के भीतर ही मिलता है. लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फीसदी कोटा, इस 50 फीसदी सीमा के बाहर है. 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि आर्थिक रूप से कमजोर 10% आरक्षण देने का कानून उच्च शिक्षा और रोजगार में समान अवसर देकर 'सामाजिक समानता' को बढ़ावा देने के लिए लाया गया था. आर्थिक रूप से कमजोर उन लोगों को माना जाता है जिनकी सालाना 8 लाख रुपये से कम होती है. सामान्य वर्ग के ऐसे लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है.

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