Advertisement

नीतीश बिहार में ओवैसी से क्यों चिंतित हैं, मुस्लिम वोटों के बिखराव को क्या रोक पाएंगे?

बिहार में 16 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. बिहार में हुए सियासी बदलाव के बाद गोपालगंज और कुढ़नी उपचुनाव में मुस्लिमों का एक तबका असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी खड़ा नजर आया है, जिससे नीतीश कुमार की चिंता बढ़ गई है. ऐसे ही मुस्लिमों को साधने में जुट गए हैं.

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव
कुबूल अहमद/रोहित कुमार सिंह
  • नई दिल्ली/पटना,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

बिहार की सियासत में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन की बेचैनी बढ़ा दी हैं. यही वजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद कमान संभाल ली है और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठकर मुस्लिम वोटों के बिखराव को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. इससे पहले भी नीतीश ने विधानसभा भवन में महागठबंधन के विधायकों को ओवैसी से सतर्क रहने की नसीहत दी थी. ऐसे में सवाल उठता है कि ओवैसी से नीतीश क्यों चिंतित है और क्या मुस्लिम वोटों पर उनकी पकड़ कमजोर हो रही है? 

Advertisement

दरअसल, नीतीश कुमार की असल चिंता पिछले दिनों हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम के प्रदर्शन को लेकर है. गोपालगंज में एआईएमआईएम उम्मीदवार को 12000 से अधिक वोट मिले. बीजेपी यह सीट जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन उसके जीत का अंतर 2000 वोटों से कम था और आरजेडी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर था. इसी तरह से कुढ़नी उपचुनाव में ओवैसी के प्रत्याशी को 3000 से कुछ अधिक वोट मिले, लेकिन वहां नीतीश कुमार की जेडीयू प्रत्याशी को बीजेपी के हाथों 3,600 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 

बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी जिस तरह से हर एक उपचुनाव लड़ रही है और मुस्लिमों को एक खेमा यह जानते हुए भी एआईएमआईएम उम्मीदवार वोट दिया कि उसके जीतने के आसार नहीं है. इसके चलते महागठबंधन को नुकसान और बीजेपी को सीधे फायदा पहुंचा. गोपालगंज और कुढ़नी की तरह आगे भी मुसलमानों का वोटिंग पैटर्न जारी रहा तो 2024 के चुनाव में महागठबंधन का सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है, क्योंकि तीन से पांच हजार वोटों का अंतर हार जीत के लिए काफी है.  

Advertisement

उपचुनाव में मुस्लिम वोटों के हुए बिखराव को देखकर नीतीश कुमार की बेचैनी बढ़ गई है. इसी मद्देनजर नीतीश ने मुस्लिमों को साथ बैठक में असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी फैक्टर की चर्चा करते हुए साफ-साफ इशारा कर दिया कि एआईएमआईएम बिहार में आगमी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए चिंता खड़ी कर सकती है. ऐसे में अगर इसके बढ़ते कदमों को रोका नहीं गया तो इसका प्रभाव आगामी चुनावों में दिखेगा. इसीलिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों से नीतीश कुमार ने ओवैसी से सतर्क रहने के लिए कहा है. 

सीएम नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सक्रिय होने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की आशंका जताई. साथ ही मुस्लिम बुद्धिजीवियों से हाई अलर्ट पर रहने की अपील की. उन्होंने मुस्लिम समुदाय को ओवैसी की पार्टी से सावधान रहने की भी चेतावनी दी और कहा कि यह बीजेपी की बी-टीम के तौर पर काम कर रही है और बिहार में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए हर जगह अपने कैंडिडेट को उतारकर मुस्लिम वोटों का बंटवारा कर रही है. 

नीतीश ने आरोप लगाया कि असदुद्दीन ओवैसी देशभर में मुस्लिम वोटों के विभाजन और सांप्रदायिक माहौल खराब करने में जुटे हैं. ऐसे में मुस्लिम समुदाय को सतर्क रहने की जरूरत है. इसके साथ ही नीतीश ने कहा कि अगर हम पूरी ईमानदारी से राज्य सरकार की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए किए गए काम को जनता तक सही तरीके से पहुंचाएं. आप लोग मुस्लिम समुदाय के बीच जाइए और उन्हें बताइए कि आपकी सरकार ने मुस्लिमों के विकास के लिए क्या-क्या किया है. ऐसे में सही तरीके से सरकार के कामों जनता के बीच पहुंचाने में सफल हो गए तो ओवैसी के फेर में जनता नहीं पड़ेगी. 

Advertisement

बता दें कि बिहार की सिसासत में 16 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, लेकिन कई सीटों पर राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. आजादी के बाद कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है, लेकिन लालू यादव के राजनीतिक उदभव के बाद आरजेडी के साथ जुड़ गया. 2005 के बाद नीतीश कुमार के पक्ष में भी मुस्लिमों का एक तबका जुड़ा रहा, लेकिन 2020 के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल के इलाक में पांच सीटें जीतकर और तीन अन्य सीटों पर दूसरा स्थान हासिल करके अपनी छाप छोड़ी थी. 

सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी के चलते कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू जैसे दलों का मुस्लिम समीकरण बिगड़ा गया था. इस इलाके की सभी सीटों पर 40 से 55 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता है. ऐसे में मुस्लिमों के झुकाव ने सेकुलर दलों के सारे गणित गड़बड़ा गए थे. एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो चुके हैं, लेकिन ओवैसी ने अब हर एक चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ रही है. गोपालगंज और कुढ़नी की प्रदर्शन ने एआईएमआईएम को सीमांचल क्षेत्र से बाहर मुस्लिम इलाकों में पैर पसारने का मौका दे दिया है. 

एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तारुल इमाम कह चुके हैं कि पार्टी सीमांचल से बाहर अपने आधार का विस्तार कर रही है. बीजेपी और अपने आपको धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों में कोई अंतर नहीं है. नीतीश और तेजस्वी यादव बिहार में उभरती मुस्लिम सियासत को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब पहले से भी ज्यादा ताकत के साथ सक्रिय हो रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी भी आजतक के मंच पर कह चुके हैं कि बिहार में हर एक चुनाव लड़ेंगे और पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे. बीजेपी को फायदा होता है या फिर महागठबंधन को नुकसान. इससे हमें कोई मतलब नहीं है और मकसद AIMIM को मजबूत करने का है. 

Advertisement

नीतीश कुमार एनडीए को छोड़कर महागठबंधन में वापसी कर गए हैं. ऐसे में बीजेपी दलित और सवर्ण वोटर्स को एक साथ लाने की कोशिश शुरू कर रही है. इसके अलावा पिछड़े वोटर्स के बीच भी पार्टी ने सेंधमारी का फॉर्मूला तैयार कर किया है.कुढ़नी के बाद नगर निकाय चुनावों में भी इसी फॉर्मूले के साथ बीजेपी आगे बढ़ी और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसी समीकरण के साथ उतरने की तैयारी में है. इस तरह महागठबंधन के सामने चुनौती बढ़ती जा रही है. 

वहीं, ओवैसी के राजनीतिक तेवर और मुस्लिम वोटों के बदलते सियासी मिजाज ने कहीं न कहीं महागठबंधन की बेचैनी को बढ़ा दिया है. यह तब और भी बढ़ी चुनौती हो जाती है कि महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी भी शामिल हैं. इसके बाद भी मुस्लिम वोट महागठबंधन से छिटक रहा है तो 

बिहार में मुस्लिम समुदाय का कुछ हिस्सा महागठबंधन से खिसकर कहीं ओवैसी की पार्टी के साथ चले जाते हैं तो सारे समीकरण बिगड़ जाएंगे. 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार बिहार से दिल्ली की सियासत को साधना चाहते हैं. ऐसे में ओवैसी उनकी राह में रोड़ा बना रहे हैं, जिसे लेकर नीतीश कुमार सतर्क हो गए हैं और मुस्लिम समुदाय को भी अलर्ट रखना चाहते हैं. ऐसे में देखना है कि नीतीश क्या मुस्लिमों को ओवैसी के पाले में जाने से दूर रख पाएंगे? 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement