
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार अगले सप्ताह किसी भी दिन भी हो सकता है. इसे लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कराने वाले उपेंद्र कुशवाहा के डिप्टी सीएम बनने की उम्मीदों पर सीएम नीतीश कुमार ने पानी फेर दिया है, लेकिन कांग्रेस और आरजेडी कोटे से मंत्री बनना तय है. ऐसे में देखना है कि आरजेडी और कांग्रेस के किन नेताओं को नीतीश कैबिनेट में एंट्री मिलती है?
नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस ने महागठबंधन सरकार में उचित भागीदारी की मांग शुरू कर दी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह से लेकर बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने कैबिनेट में पार्टी के दो अन्य चेहरों को शामिल करने की मांग उठाई. वहीं, जेडीयू में अपनी पार्टी का विलय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा के डिप्टी सीएम बनने की चर्चा तेज थी. कुशवाहा ने भी कहा कि वे संन्यासी नहीं हैं कि सरकार में पद लेने से इनकार करें. ऐसी चर्चा सुनकर खुशी होती है.
RJD-कांग्रेस को मौका, कुशवाहा को झटका
कैबिनेट विस्तार को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा के दौरान मधुबनी में कहा कि महागठबंन में मंत्रिमंडल विस्तार तो तय है. कैबिनेट में आरजेडी से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं. इसके अलावा, कांग्रेस से भी एक-दो मंत्री सकते हैं. महागठबंधन के सातों दल मिलकर मंत्रिमंडल पर फैसला करेंगे. नीतीश कुमार ने साफ-साफ इशारा किया है कि बिहार में कैबिनेट का विस्तार तो होगा लेकिन आरजेडी और कांग्रेस से ही मंत्री बनेंगे. ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस और आरजेडी अपने कोटे से किसे मंत्रिमंडल में भेजती है?
उपेंद्र कुशवाहा के उपमुख्यमंत्री बनने की कयासों पर विराम लगाते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि पता नहीं ये बात कहां से आ गई और ये फालतू बात है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ सरकार में तो वह मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते थे, लेकिन बीजेपी के लोगों ने जबरदस्ती कर मुख्यमंत्री बनाया. इसके बाद दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए. इससे पहले तक एक ही उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे और अब महागठबंधन सरकार में भी एक ही डिप्टी सीएम है. नीतीश के इस बयान को उपेंद्र कुशवाहा के लिए झटका माना जा रहा है.
कांग्रेस से कितने और कौन बनेगा मंत्री?
नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार में आरजेडी और कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाए जाएंगे. अगस्त में 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया गया था तो कांग्रेस कोटे से दो मंत्री बनाए गए थे. आफाक आलम कैबिनेट और दूसरे मुरारी प्रसाद गौतम ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली थी. कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि महागठबंधन में साढ़े चार विधायक पर एक मंत्री पद का कोटा निर्धारित किया गया तो वैसी स्थिति में कांग्रेस कोटे से कम से कम पांच नहीं तो चार विधायकों को मंत्री बनाया जाना चाहिए था. ऐसे में कांग्रेस कोटे से एक से दो मंत्री बन सकते हैं.
मुस्लिम और दलित समुदाय से कांग्रेस पहले ही एक-एक मंत्री बना चुकी है. कैबिनेट विस्तार के जरिए अब कांग्रेस सियासी समीकरण को दुरुस्त करने और सोशल इंजीनियरिंग के मजबूत करने का दांव चल सकती है. ऐसे में सवर्ण समाज से किसी को मंत्री बना सकती है. भूमिहार समुदाय से आने वाले कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा को मंत्री बनाया जा सकता है. तीन बार से शर्मा विधायक हैं और कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं. वहीं, कांग्रेस को दो मंत्री पद मिलते हैं तो विजय शंकर दुबे, बिजेंद्र चौधरी, अजय कुमार सिंह, संजय कुमार तिवारी, संतोष कुमार मिश्रा, आनंद शंकर और मनोहर प्रसाद में किसी एक को मंत्री पद मिल सकता है.
आरजेडी से किसे मिलेगा मौका?
महागठबंधन में अगस्त में आरजेडी कोटे से कुल 16 मंत्री बनाए गए थे, जिसमें सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. नीतीश कुमार की मानें तो आरजेडी कोटे से इन्हीं दोनों पदों को भरा जाना है. कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले दोनों मंत्री उच्च जाति से हैं, जिसमें एक राजपूत और एक भूमिहार है. सुधाकर-कार्तिकेय के मंत्री पद छोड़ने से तेजस्वी यादव का ए-टू-जेड समीकरण खतरे में पड़ गया है, क्योंकि आरजेडी से यही दो मंत्री सवर्ण समुदाय से थे. ऐसे में आरजेडी 2024 के चुनाव और बिहार में सियासी समीकरण को देखते हुए सवर्ण समाज से ही मंत्री बनाना चाहेगी.
कार्तिकेय सिंह की जगह कौन?
आरजेडी भूमिहार समुदाय को जोड़े रखने के लिए बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मंत्री पद संभालने का मौका मिल सकता है. विधानसभा में आरजेडी से भूमिहार समुदाय की एकलौती विधायक हैं. कार्तिकेय सिंह को भी एक बार फिर से मंत्री बनाया जा सकता हैं, लेकिन उनके खिलाफ मामला है. हालांकि, कार्तिकेय सिंह बाहुबली अनंत सिंह के दाहिने हाथ थे, उनके बदले नीलम देवी की किस्मत खुल सकती है. इनके मंत्री बनने से भूमिहार कोटा और महिला कोटा दोनों ही पूरा हो जाएगा.
सुधाकर सिंह की जगह कौन?
आरजेडी में सुधाकर सिंह के इस्तीफा के बाद राजपूत समुदाय की जगह खाली है. तेजस्वी यादव राजपूत समुदाय को साधे रखने के लिए बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को कैबिनेट में जगह दे सकते हैं. इससे राजपूत कोटा तो पूरा हो जाएगा, साथ ही लवली आनंद और आनंद मोहन के समर्थकों का साथ भी आरजेडी को मिलेगा. आरजेडी से आठ राजपूत विधायक बने हैं, जिसमें से अगर चेतन आनंद को किसी कारण कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाता है तो उसमें सुधाकर सिंह को छोड़कर किसी दूसरे राजपूत को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है. हालांकि, आनंद मोहन को लेकर आरजेडी जिस तरह से मेहरबान है, उसके चलते चेतन की संभावना सबसे ज्यादा है.
बता दें कि आरजेडी कोटे से 16, जेडीयू से 11, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पास एक और एक निर्दलीय विधायक मंत्री बने थे. बिहार विधानसभा सदस्यों के आधार पर कुल 36 मंत्री बन सकते हैं, लेकिन अगस्त में 31 सदस्यीय कैबिनेट का गठन किया था, जिनसे दो मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है. इस तरह से अभी सात मंत्री और अभी बन सकते हैं. कांग्रेस के 19 विधायक हैं और उसके दो मंत्री बने थे. ऐसे में कांग्रेस नीतीश कैबिनेट में दो मंत्री और चाहती है. आरजेडी से दो मंत्री बनाने की बात सामने आ रही है, जिसके चलते कांग्रेस का कोटा बढ़ रहा है.