
बिहार की नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली नई सरकार के मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है. नीतीश ने पहले की तरह ही गृह विभाग जैसे भारी भरकम मंत्रालय अपने पास रखे हैं जबकि उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को वित्त और वाणिज्य समेत पांच विभाग मिले हैं. वित्त, राजस्व और उद्योग जैसे विभाग मिलने के बाद बेरोजगारी के मुद्दे और लोगों की अपेक्षाएं पूरी करने का बोझ भी बीजेपी के कंधों पर आ गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और राज्य में उद्योग धंधे न लगना अहम मुद्दा था. तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में नीतीश कुमार को बेरोजगारी पर घेर रहे थे. उन्होंने 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था. इसके बाद, बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का वचन दिया.
नीतीश सरकार में पहले की तरह वित्त और राजस्व मंत्रालय बीजेपी के पास ही हैं. नए मंत्रालय के तौर पर बीजेपी को उद्योग मिला है, इसका सीधा सा अर्थ है कि राज्य में नए उद्योग धंधे लगाने और रोजगार के अवसर पैदा करनेके की प्रमुख जिम्मेदारी अब बीजेपी की ही होगी.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रवासी मजदूर बिहार से ही हैं. जनसंख्या के आधार पर देखा जाए तो बिहार इस मामले में नंबर एक पर ही है. लॉकडाउन के बीच इस साल अप्रैल में बिहार में बेरोजगारी की दर 46.6 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई. यही वजह रही कि चुनाव में बेरोजगारी एक अहम मुद्दा बन गई.
लॉकडाउन खुलने के बाद देश में बेरोजगारी की दर में सुधार हुआ है. तब भी बिहार में बेरोजगारी की स्थिति देश के बाकी राज्यों की तुलना में खराब है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अक्टूबर के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी की दर करीब 10 फीसदी है जबकि देश में यह 7 फीसदी है.
वर्ष 2016 और 2017 में बिहार में बेरोजगारी दर अखिल भारतीय औसत से कम थी, लेकिन साल 2018 से यह लगातार राष्ट्रीय औसत से ऊपर रही है. ऐसे में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में जिस तरह से वित्त और उद्योग मंत्रालय बीजेपी कोटे में आए हैं, ऐसे में बेरोजगारी के मुद्दे पर ज्यादा जवाबदेवी उसकी ही होगी.
एनडीए की सरकार बनने के बाद तेजस्वी यादव ने शपथ ग्रहण की बधाई देने के साथ ही एनडीए को 19 लाख नौकरियां देने की याद भी दिलाई. इससे साफ है कि विपक्ष रोजगार के मुद्दे पर एनडीए सरकार को घेरने से पीछे नहीं हटेगा. चुनाव खत्म हो चुके हैं, सरकार बन चुकी है और नीतीश सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी मोर्चे पर कुछ कर दिखाने की होगी.