
बिहार के पथ निर्माण विभाग ने केंद्रीय सड़क निर्माण मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान को झूठा करार दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में जमीन नहीं मिलने के कारण सड़क निर्माण की 2 लाख करोड़ की परियोजना लटकी पड़ी हैं.
बिहार पथ निर्माण विभाग ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र और राज्य के साल 2015 में भारत सरकार द्वारा घोषित प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के अंतर्गत कुल 82 परियोजनाएं शामिल हैं जिनकी कुल अनुमानित लागत 54,700,00 करोड़ रुपये है. इनमें से 24 परियोजनाओं का क्रियान्वयन एनएचएआई द्वारा किया जाना है. 58 परियोजनाओं का क्रियान्वयन पथ निर्माण विभाग के एनएच उपभाग द्वारा किया जाना है.
बयान में कहा गया कि कुल 82 में से 47 परियोजनाओं में कार्य जारी है. 10 परियोजनाएं बीड/ स्वीकृति की स्थिति में है. 25 परियोजनाओं का डीपीआर बन रहा है. इनमें से 18 डीपीआर पथ निर्माण विभाग को बनाने हैं जो 31 अगस्त 2018 तक प्रेषित कर दिए जाएंगे.
पथ निर्माण विभाग ने परियोजनाओं का विवरण देते हुए कहा कि इन सभी परियोजनाओं हेतू भू-अर्जन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है. जिन योजनाओं में कार्य प्रारंभ हो गया है उनमें से पटना-बक्सर फोर लेन पथ के पटना कोइलवर भाग को छोड़कर अन्य परियोजनाओं में कार्य चल रहा है. राज्य सरकार शिवाला से बीटा एलिवेटेड पथ बनाने की अनुशंसा कर चुकी है. अन्य परियोजनाओं में भू-अर्जन का कार्य निर्माण के साथ-साथ जारी रहता है.
बयान में कहा गया कि केवल 4 योजनाओं में भू-अर्जन का कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण कार्य आरंभ में विलंब हो रहा है. बयान में आगे कहा गया कि साल 2014 में नए भू-अर्जन अधिनियम के लागू होने के फलस्वरुप दिशा निर्देशों एवं प्रक्रियाओं में काफी परिवर्तन आए थे. फलस्वरुप भू-अर्जन में समय लग रहा था. अब प्रक्रिया एवं दिशा-निर्देश स्पष्ट हैं.
भू-अर्जन की प्रगति की समीक्षा समय-समय पर समाहर्तागण के साथ मुख्य सचिव के स्तर से होती है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग तथा पथ निर्माण विभाग द्वारा क्षेत्रीय पदाधिकारियों से समन्वय किया जा रहा है. राज्य सरकार सभी परियोजनाओं के लिए तेजी से वजन करके भूमि उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प है.
विभाग ने कहा है कि भारतमाला परियोजना में बिहार राज्य के चयनित पदों के लिए भू-अर्जन की अधियाचन प्राप्त होने पर राज्य सरकार द्वारा तत्परता से भू-अर्जन की कार्यवाही की जाएगी.
भारत सरकार द्वारा भू-अर्जन से संबंधित उठाए गए नीतिगत मामलों पर राज्य सरकार द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई है.
इसके अंतर्गत भू-अर्जन में प्रशासनिक व्यय की राशि जो पूर्ण में मुआवजे की राशि का 20% होती थी उसे घटाकर 5% कर दिया गया है. इसी प्रकार यूटिलिटी शिफ्टिंग में विद्युत प्रभाव की राशि भी 15% से घटाकर 2.5% कर दी गई है. साथ ही साथ राज्य में गिट्टी एवं बालू की समुचित उपलब्धि के प्रयास किये जा रहे हैं.