Advertisement

अटकलों और तेजस्वी के तंज के बीच नीतीश क्यों गए RJD के इफ्तार में, कहीं फिर अंतरात्मा...?

बिहार की राजनीति में हलचल का दौर शुरू हो गया है. सीएम नीतीश कुमार ने आरजेडी की इफ्तार पार्टी में शिरकत की है. कहने को और भी कई नेता शामिल हुए, लेकिन नीतीश का जाना सियासी कदम माना जा रहा है.

बिहार के इफ्तार में शामिल हुए नीतीश कुमार बिहार के इफ्तार में शामिल हुए नीतीश कुमार
सुधांशु माहेश्वरी
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 9:28 PM IST
  • कई मुद्दों पर बीजेपी-नीतीश में तकरार
  • जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों पर खुला विरोध
  • मुकेश सहनी भी हो चुके हैं बर्खास्त

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को आरजेडी द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. पांच साल बाद फिर राज्य की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर इस इफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ. यूं तो इस आयोजन में पक्ष-विपक्ष के कई नेता शामिल हुए, बीजेपी के नेता भी दिखाई दिए. लेकिन सीएम नीतीश कुमार की उपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी.

Advertisement

इस इफ्तार पार्टी का जो वीडियो भी सामने आया है उसमें सीएम नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव से बात करते दिख रहे हैं. दूसरे बड़े नेता भी साथ ही बैठे हैं. अब क्या चर्चा हुई, निजी थी या फिर राजनीति के इर्द-गिर्द, ये स्पष्ट नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार की टाइमिंग की वजह से इस एक आयोजन के बाद कई मायने निकाले जा रहे हैं.

टाइमिंग का सारा खेल!

जानकारी के लिए बता दें कि एक दिन बाद गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आ रहे हैं. वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गृह मंत्री वहां आने की तैयारी कर रहे हैं. सबसे ज्यादा तिरंगा लगाने का रिकॉर्ड भी बनाने की बात कही जा रही है. इसके अलावा बीजेपी नेताओं से भी उनकी मुलाकात संभव है. लेकिन बड़ी बात ये है कि सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह का कोई कार्यक्रम सेट नहीं किया गया है. ऐसे में अमित शाह के बिहार आगमन से पहले नीतीश कुमार का राबड़ी देवी के द्वार पर पहुंचना बड़ा संदेश दे गया है.

Advertisement

अब वो संदेश क्या है, इसको लेकर कोई भी नेता अभी खुलकर बात नहीं करना चाहता है. बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि इस इफ्तार पार्टी का कोई भी सियासी मतलब नहीं निकालना चाहिए. जब हमने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, तब भी नीतीश कुमार वहां गए थे. अब आरजेडी ने किया है तो वहां भी उनकी उपस्थिति हुई है. मैंने भी रोजा रखा था, इसलिए तेजस्वी जी ने मुझे फोन कर निमंत्रण दिया.

वहीं चिराग पासवान ने भी इसी दिशा में अपना बयान दिया है. वे भी नीतीश की इस मुलाकात का कोई सियासी मायने नहीं देखते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या बिहार की राजनीति में अब नीतीश, चिराग और तेजस्वी साथ आने वाले हैं, इस पर उन्होंने दो टूक कहा कि नहीं ऐसी कोई संभावना नहीं है. इफ़्तार की दावत को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखना बिल्कुल भी उचित नहीं है.

2017 का बड़ा खेला...

अब चिराग पासवान का ये बयान जरूर राजनीति से इतर साधारण दिखाई पड़ता है, लेकिन बिहार में इफ्तार पार्टियों के बहाने कई बार बड़े सियासी संदेश दिए गए हैं. ऐसा ही एक संदेश पांच साल पहले तब देखने को मिला था जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. सीएम नीतीश कुमार ही थे, लेकिन साथ में डिप्टी मुख्यमंत्री बन खड़े थे तेजस्वी यादव. तब 23 जून 2017 को लालू यादव के आवास पर इफ्तार पार्टी रखी गई थी. अब तब भी उस इफ्तार पार्टी की टाइमिंग को लेकर ही सारा खेल था.

Advertisement

उस समय देश में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले थे. दो उम्मीदवार मैदान में थे- तब के बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार. अब बड़ा सियासी खेल ये था कि नीतीश कुमार ने तब केंद्र के उम्मीदरवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था. साफ कर दिया गया था कि वे राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोविंद का समर्थन करने वाले हैं. इसके कुछ दिन बाद ही लालू यादव के आवास पर इफ्तार पार्टी रखी गई थी. तस्वीरें भी सामने आई थीं जहां लालू और नीतीश लगातार कुछ बात करते रहे. ऐसा कहा गया कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश के फैसले को बदलने का प्रयास रहा.

अब क्या करेंगे नीतीश कुमार?

लेकिन तब उस इफ्तार पार्टी के बाद ही नीतीश ने मीडिया से बात करते हुए कह दिया कि वे राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद का ही समर्थन करने वाले हैं. उस समय लालू यादव भी उनके साथ ही खड़े थे. ऐसे में तब आरजेडी को पहला बड़ा सियासी झटका दे दिया गया था. इसके बाद लगातार कई मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार और आरजेडी के बीच तकरार बढ़ती गई. तेजस्वी की कार्यशैली को लेकर भी नीतीश की नाराजगी बताई गई. नतीजा ये रहा कि करीब एक महीने बाद ही नीतीश कुमार ने फिर पाला बदल दिया. उन्होंने आरजेडी, कांग्रेस को छोड़ बीजेपी से हाथ मिलाया और बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन गई.

Advertisement

उस समय नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया. तब नीतीश ने बयान में कहा था कि हमने विपक्षी एकता के साथ हैं, मगर कोई एजेंडा तो हो. राष्ट्रपति चुनाव में हमने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया, वो बिहार के राज्यपाल रहे हैं, उसके बाद हमारे ऊपर जाने क्या-क्या आरोप लगाए गए. हमारी और उनकी सोच का दायरा भी अलग है. इसलिए मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और अपना त्यागपत्र दे दिया.

अब इस समय फिर बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, ऐसी खबरें आ रही हैं. पिछले महीने ही बिहार के लखीसराय के पुलिस उपाधीक्षक व थाना प्रभारी के खिलाफ जांच को लेकर जेडीयू और बीजेपी के बीच तलवार खिंच गई थी. इस मामले में तो विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार का गुस्सा पूरे देश ने टीवी पर देखा था. इसके अलावा मुकेश सहनी के मंत्रिमंडल से बर्खास्त होने के बाद भी टेंशन बढ़ी थी. फिर जातिगत जनगणना को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू के रुख में काफी फर्क दिख रहा है और साथ में कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement