
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच जुबानी तकरार के बाद जेडीयू डैमेज कंट्रोल करने में जुट गई है. संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार ने कुछ गलत नहीं कहा है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार आसन को सर्वोपरि मानते हैं.
दरअसल, मंगलवार को विधानसभा की कार्रवाई शुरू होने के बाद अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा खुद नहीं आए, बल्कि उन्होंने सदन की कार्यवाही को संचालित करने के लिए बीजेपी विधायक प्रेम कुमार को भेज दिया.
प्रेम कुमार द्वारा सदन की कार्रवाई संचालित किए जाने के बाद आरजेडी विधायकों ने मुख्यमंत्री बनाम विधानसभा अध्यक्ष का मुद्दा उठाया और हंगामा किया. आरजेडी विधायक ललित यादव ने कहा नीतीश कुमार ने सदन के अंदर जिस तरीके से अलोकतांत्रिक बातें की उससे पूरा सदन आहत है. आसन सर्वोपरि होता है और आसन को निर्देश देना बिल्कुल सही नहीं है.
विधायिका और कार्यपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए
आरजेडी विधायकों को जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने सदन में कहा, सीएम नीतीश कुमार ने कल कोई भी असंसदीय या अशोभनीय टिप्पणी नहीं की. नीतीश कुमार ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका का कार्यक्षेत्र और दायित्व बिल्कुल अलग है. दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. एक दूसरे में हस्तक्षेप करने से और असहज स्थिति उत्पन्न होती है. विधानसभा अध्यक्ष ने भी दोहराया कि संविधान के मुताबिक सभी काम होना चाहिए. मुख्यमंत्री और अध्यक्ष के बीच में कहीं कोई विरोधाभास नहीं है. मुख्यमंत्री के द्वारा अध्यक्ष या सदन के प्रति गैर सम्मानजनक तरीके से कहने की बात बिल्कुल निराधार है. मुख्यमंत्री ने आसन से हाथ जोड़कर निवेदन किया जो संवैधानिक परंपरा है उसका निर्वहन किया जाए.
विधानसभा अध्यक्ष का पद सर्वोपरि
विजय चौधरी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार समेत पूरे सरकार मानती है कि विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष का पद सर्वोपरि होता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार का मानना है कि आसन सर्वोपरि है और इसीलिए मुख्यमंत्री ने सिर झुका कर आसन से आग्रह किया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि सदन को नियमनुसार चलना चाहिए. अध्यक्ष ने भी यही कहा कि सदन को नियमों के मुताबिक चलना चाहिए. दोनों ने एक ही बात कही है. कोई ऐसी बात नहीं है. वहीं, इस मामले पर आरजेडी के विधायक नीतीश कुमार से सदन में माफी मांगने की बात कहते रहे.