
बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ देखा जा रहा है. लंबे वक्त से राजनीति की पिच पर बैक फुट बल्लेबाजी करने वाली विकासशील इंसान पार्टी (VIP) अब आगे बढ़कर एक्टिव रोल प्ले कर रही है. वीआईपी पार्टी की ओर से सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं और अब उसने बेरोजगारी और नौकरी के मुद्दे पर केन्द्र सरकार को जमकर घेरा है.
वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति का कहना है- सरकार संसद में भी मान चुकी है कि सरकारी नौकरी के लिए जितने भी लोगों ने आवेदन किया था, उनमें से 1 फीसदी से भी कम लोगों को ही नौकरी मिल पाई है. उन्होंने इन्हीं आंकड़ों को दिखाते हुए विकासशील इंसान पार्टी की ओर से केन्द्र सरकार से कड़े सवाल किए हैं.
वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता का कहना है कि बेरोजगारी और नौकरी को लेकर जब भी विपक्षी दल केन्द्र सरकार पर हमला बोलते थे, सरकार इसे आरोप बताकर अपना पल्ला झाड़ लेती थी. लेकिन अब सरकार खुद मान रही है कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22 के बीच कुल 22.05 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया, और इनमें से 1 फीसदी से भी कम लोगों को नौकरियां मिल सकीं. इन सभी लोगों ने केन्द्र सरकार के अलग-अलग विभागों में नौकरी के लिए आवेदन किया था.
केन्द्र सरकार ने ये आंकड़े पेश करते हुए कहा कि 2019-20 में कुल 1.47 लाख लोगों को रोजगार मिला. जबकि साल 2019 में ही देश ने नई लोकसभा को चुना था. इसी साल के अंत तक कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी.
वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा- आंकड़े बताते हैं कि पिछले 8 सालों में 22 करोड़ से ज्यादा लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया. इसमें से 7,22,311 लोगों का चयन हुआ, जो नौकरियों के लिए आए कुल आवेदन की तुलना में सिर्फ 0.33 फीसदी ही है. उन्होंने कहा कि यही हकीकत है. सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है. रोजगार का मामला हो या महंगाई का मामला, सरकार दोनों मामलों में फेल है, जनता त्रस्त है. पार्टी प्रवक्ता ने इसके लिए सरकार की आर्थिक नीतियों को दोषी बताया.