
RRB NTPC के 14 जनवरी को आए रिजल्ट के बाद छात्रों की निराशा अब आक्रोश में बदल गई है. पिछले दो दिनों से बिहार में ट्रेन सेवाएं (Train Services in Bihar) अस्त-व्यस्त हैं. मंगलवार को बिहार के बक्सर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, सीतामढ़ी और आरा में छात्रों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया. पटना में पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पडे़. छात्रों की पत्थरबाजी से कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए.
सोमवार को इसी तरह पटना के राजेन्द्र नगर टर्मिनल और आरा स्टेशन पर छात्रों ने 10 घंटे तक परिचालन ठप कर दिया, जिससे 6 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा. 30 से अधिक ट्रेनें लेट हो गईं. अब सोचिए, य़ात्रियों पर क्या गुजरी होगी. अंजान स्टेशन पर यात्री घंटों फंसे रहे. बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे तो जिन यात्रियों को जरूरी काम से कहीं पहुंचना था, उनकी परेशानी लगातार बढ़ रही थी. जिनको इलाज के लिए ले जाया जा रहा था, वो भगवान भरोसे दिखे.
जानिए क्यों नाराज हैं छात्र
सवाल है कि आखिर छात्र रेलवे से इतने नाराज क्यों हैं? छात्रों का कहना है कि आरआरबी-एनटीपीसी की परीक्षा परिणाम में धांधली की गई है, उनका कहना है कि कम अंक वाले छात्रों को पास करा दिया गया है, जबकि अधिक नंबर लाने वाले छात्र फेल कर दिए गए. बेगूसराय के परीक्षार्थी कृष्ण कुमार ने बताया कि वो पिछले दो सालों से पटना के कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर इसकी तैयारी कर रहा था. पिता ने खेत गिरवीं रखकर मुझे पटना रेलवे की तैयारी के लिए भेजा था, लेकिन सब गड़बड़ हो गया. सोचा था कि नौकरी के बाद कर्ज चुकाकर खेत छुड़ा लूंगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ये ही कहानी दूर दराज देहात से आए लगभग सभी छात्रों की है.
इसी तरह एक और छात्र रामप्रवेश सिंह ने बताया कि एक तो इतने लंबे अंतराल के बाद वैकेंसी आई और उसमें भी परीक्षा परिणाम में धांधली की गई. छात्रों का कहना है कि इतने कम छात्रों को पास कराया गया कि कई पद खाली रह जाएंगे. देश में 21 भर्ती बोर्ड हैं और सब भर्ती बोर्ड में अलग-अलग कट आफ के आधार पर रिजल्ट निकाला. किसी भर्ती बोर्ड में कट आफ मार्क्स बहुत ज्यादा थे और किसी में कम. छात्रों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है. इसलिए छात्रों का आरोप है कि परीक्षा परिणाम में धांधली हुई है.
इन पदों के लिए निकाली थी एनटीपीसी की वैकेंसी
रेलवे ने लंबे अंतराल के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनटीपीसी की वैकेंसी निकाली थी. कुल 13 कैटेगरी के लिए 35281 पदों के लिए ये वैकेंसी थी, जिसमें स्टेशन मास्टर, गार्ड, टीटीई आदि पदों के लिए नियुक्ति होनी थी. इन वैकेंसी को 5 ग्रुप में बांटा गया, ये ग्रुप 2, 3, 4, 5, 6 थे. दो और तीन ग्रुप अंडर ग्रेजुएट के लिए था. अन्य के तीन ग्रुप ग्रेजुएट के लिए थे. वैकेंसी का विज्ञापन निकलने के बाद करीब एक करोड़ 40 लाख छात्रों ने इसका फॉर्म भरा, उसमें से 70 लाख छात्र परीक्षा देने के लिए उपयुक्त पाए जाते हैं. इतने छात्रों की परीक्षा 57 सीटिंग में ली गई. दिसंबर 2020 से शुरू हुई परीक्षा 31 जुलाई 2021 तक चली.
इस तरह रेलवे ने किया था परीक्षा का आयोजन
जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ तो परीक्षा नहीं ली जा सकती थी. इसलिए 57 सीटिंग में परीक्षाएं अलग-अलग ग्रुप के लिए हुई थीं. ये भी जाहिर है कि सब दिन एक जैसे सवाल नहीं पूछे जा सकता थे तो हर सीटिंग के लिए अलग-अलग सवाल थे. किसी दिन थोड़ा हल्का, किसी दिन भारी. चूंकि ये परीक्षाएं कंप्यूटर बेस थीं, यानि सीबीटी. सबका समान आकलन हो, इसके लिए रेलवे भर्ती बोर्ड मैथमेटिकल फार्मूला अपनाता है. पहले फेज का रिजल्ट जब आया तो इसमें से 7 लाख 5 हजार 446 छात्र पास हुए. यानि 35281 पदों के लिए उससे बीस गुणा ज्यादा परीक्षार्थियों ने दूसरे राउंड के लिए क्वालिफाई किया.
रेलवे ने पीटी का रिजल्ट 20 गुणा ज्यादा जरूर दिया है, लेकिन जो छात्र गेजुएट हैं. उन्होंने अंडर ग्रेजुएट में भी क्वालिफाई कर लिया है. उनकी संख्या को भी शामिल किया गया है, जिससे पास छात्रों की संख्या कम हो गई है, जो अंडर ग्रेजुएट हैं. उनका आरोप है कि इस तरीके से उनका सेलेक्शन तो कभी नहीं होगा, क्योंकि ग्रेजुएट उनसे ज्यादा सक्षम हैं. रेलवे भर्ती बोर्ड का तर्क है कि पद खाली न रहे, इसके लिए ये व्यवस्था की गई है.
लाठीचार्ज से लेकर आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े
छात्र मानने को तैयार नहीं हैं. आज भी पटना के कई इलाकों में इसको लेकर प्रदर्शन किए गए. भीखना पहाड़ी में तो प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. छात्रों की पत्थरबाजी से कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए. सोमवार को राजेन्द्र नगर टर्मिनल पर हुए हंगामे में पटना पुलिस ने 500 अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की है.
प्रशासन का मानना है कि इन छात्रों के पीछे कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं, जो छात्रों को उकसा रहे हैं. चूंकि ये कोचिंग इंस्टीट्यूट मोटी फीस लेते हैं और छात्रों के पास न होने का ठीकरा रेलवे बोर्ड पर फोड़ना चाहते हैं. बिहार से सबसे ज्यादा छात्र रेलवे बोर्ड की परीक्षा में शामिल होते हैं. इसलिए यहां ज्यादा आक्रोश दिख रहा है. वैसे महाराष्ट्र और उतर प्रदेश के कई इलाकों में रेलवे भर्ती बोर्ड के खिलाफ छात्रों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया.
छात्रों को किया जा रहा गुमराह: रेलवे बोर्ड
रेलवे बोर्ड का कहना है कि छात्रों को गुमराह किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि देश में और खासकर बिहार में कितनी बेरोजगारी है, इसका अंदाजा आक्रोशित छात्रों की भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है.