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फिर थियेटर से गुलजार हुआ सोनपुर मेला, बेहद दिलचस्प है इतिहास

थियेटर खुलने से एकाएक सोनपुर मेले में रौनक आ गई. अब मेला घूमने आने वालों की संख्या भी बढ गई है. इससे पहले थियेटर नहीं चलने से हरिहरनाथ मंदिर के पुजारी भी मायूस हो गए थे. उनके यजमानों की संख्या में गिरावट आ गई थी, लेकिन अब सब ठीक हो गया है.

सोनपुर मेले में डांसर सोनपुर मेले में डांसर
राम कृष्ण
  • सोनपुर,
  • 12 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

विश्व प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला थियेटरों के शोरगुल से गुलजार हो रहा है. प्रशासन ने पहले थियेटरों को लाइसेन्स देने से मना कर दिया था, लेकिन सोनपुर मेले के दुकानदारों और व्यापारियों के विरोध के चलते आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा.

वहीं, थियेटर खुलने से एकाएक सोनपुर मेले में रौनक आ गई. अब मेला घूमने आने वालों की संख्या भी बढ गई है. इससे पहले थियेटर नहीं चलने से हरिहरनाथ मंदिर के पुजारी भी मायूस हो गए थे. उनके यजमानों की संख्या में गिरावट आ गई थी, लेकिन अब सब ठीक हो गया है. थियेटरों को लाइसेंस देने के साथ ही प्रशासन ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर थियेटर में अश्लील डांस हुए या शराब का सेवन हुआ, तो लाइसेन्स तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाएगा.

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हांलाकि थियेटर मालिकों को हर रोज लाइसेंस लेना पडता है. सभी थियेटर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिसका कंट्रोल प्रशासन के पास है. जिला कार्यक्रम अधिकारी भी इसकी निगरनी करते हैं, ताकि थियेटर में कोई अश्लीलता न हो. मालूम हो कि सारण के एसपी ने सोनपुर मेला में थियेटरों को अचानक लाइसेंस देने से मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें डर था कि थियेटर की आड़ में अश्लीलता फैलेगी.

दिलचस्प बात यह है कि उनको यह ख्याल तब आया, जब थियेटर वाले अपना साजों-समान और तामझाम सोनपुर मेले में लगा चुके थे. यहां तक कि थियेटर में काम करने वाली डांसर भी पहुंच चुकी थीं. प्रशासन के इस फैसले का काफी विरोध हुआ. डांसरों के साथ-साथ दुकानदारों और व्यापारियों ने भी एक दिन की हड़ताल कर अपना विरोध जताया, तब जाकर प्रशासन ने लाइसेंस देने को तैयार हुआ.

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मेले में पहुंचे एक हजार कलाकार

इस साल सोनपुर मेले में नौ थियेटर लगे हैं, जिसमें करीब 1,000 कलाकार देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे है. पायल एक नजर, शोभा सम्राट थियेटर और गुलाब विकास थियेटर ऐसे ही कुछ ख़ास नाम है, जो सालों से इसी नाम से सोनपुर मेले में थियेटर व्यवसाय से जुड़े हैं. थियेटर व्यवसाय से जुड़े भगीरथ सिंह बताते है कि एक थियेटर से करीब एक हजार लोगों की जीविका जुड़ी होती है. यहां काम करने आने वाली महिला कलाकार, कारीगर, थियेटर मालिक और एक महीने तक थियेटर में काम करने वाले लोगों की होने वाली कमाई उनके साल भर के गुजारे का जरिया होती है.

एक थियेटर की लागत 20 से 30 लाख रुपये

इस मेले में एक थियेटर में करीब 20 से 30 लाख रुपये की लागत आती है, लेकिन मुनाफा मेले में आने वाली भीड़ पर निर्भर है. पिछले साल नोटबंदी ने ज्यादतर थियेटरों की कमाई पर चोट किया था, जिसकी वजह से इस साल सिर्फ नौ थियेटर ही लग पाए हैं. पिछले साल इन थियेटरों की संख्या 12 थी. थियेटर का इतिहास भी सोनपुर मेले जितना ही पुराना है. बताया जाता है कि पुराने जमाने में मेले में थियेटरों का स्वरूप अगल था और यहां देश की जानी-मानी नृत्यांगनाएं और नाट्यमंडली आया करती थीं, जो पूरे महीने यहां प्रदर्शन करती थीं, लेकिन वक्त के साथ इनकी जगह थियेटरों ने ले ली.

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थियेटरों में अश्लीलता के चलते मचने लगा था बवाल

सोनपुर मेले के थियेटरों का स्वरूप भी समय के साथ बदला. एक समय ऐसा भी आया, जब सोनपुर मेले में लगने वाले इन थियेटरों में अश्लीलता और नग्न प्रदर्शन की वजह से बहुत बवाल मचने लगा. थियेटरों को बंद कराने की मांग भी उठने लगी थी, लेकिन मेले के साथ थियेटर की परम्परा बदस्तूर जारी है. थियेटर के जरिए देश के कई राज्यों से महिला कलाकार सोनपुर मेले में जुटती हैं. दिल्ली से आई बबली बताई है कि वह स्टेज शो कर अपना घर चलाती हैं. वह पिछले चार साल से लगातार सोनपुर मेले के थियेटर में महीने भर के लिए आती हैं. उनको यहां कमाई के साथ मेला घूमने में भी मजा आता है.

थियेटर के बिना व्यवसाय पर पड़ता है असर

सोनपुर मेले के थियेटरों का व्यावसायिक पहलू भी बेहद अहम है. कश्मीर के गर्म कपड़ों के व्यवसायी फ़िदा हुसैन का कहना है कि मेले में थियेटर नहीं होने से व्यवसाय पर बहुत फर्क पड़ता है. थियेटर देखने दूर-दूर से लोग मेले में पहुंचते है और मेले घूमने के दौरान खरीदारी भी करते हैं. थियेटर नहीं होने से लोगों की संख्या कम हो जाती है.

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