बिहार को वित्तीय अराजकता से NDA ने निकाला: सुशील मोदी

सरकार के अपने कर राजस्व में भी 2005-06 की तुलना में 9 गुना वृद्धि हुई है. 2005-06 में जहां कर राजस्व 3561.10 करोड़ था, वहीं 31002.03 करोड़ हो गया है. पहले कर्ज लेकर वेतन-पेंशन का भुगतान किया जाता था, जबकि अब कर्ज का इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए होता है.

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सुशील मोदी सुशील मोदी

अंकुर कुमार / सुजीत झा

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  • 28 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:50 PM IST

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आरजेडी के कार्यकाल में बिहार में वित्तीय अराजकता की स्थिति थी. इस वजह से 2005-06 का बजट जहां मात्र 22,568 करोड़ का था. वहीं गैर योजना व्यय, योजना व्यय का तीन गुना था. एनडीए की सरकार बनते ही 2005-06 की तुलना में 2006-07 में योजना व्यय पहले की 4898.68 करोड़ की जगह 9397.15 करोड़ यानी दोगुना हो गया. आज वर्ष 2018-19 का बजट आकार 2005-06 की तुलना में 8 गुना ज्यादा (176,990 करोड़) और योजना व्यय (92317.65 करोड़ प्रस्तावित) जो गैर योजना व्यय से 7,645 करोड़ ज्यादा है.

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सरकार के अपने कर राजस्व में भी 2005-06 की तुलना में 9 गुना वृद्धि हुई है. 2005-06 में जहां कर राजस्व 3561.10 करोड़ था, वहीं 31002.03 करोड़ हो गया है. पहले कर्ज लेकर वेतन-पेंशन का भुगतान किया जाता था, जबकि अब कर्ज का इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए होता है.

एनडीए की सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन किया जिसके परिणामस्वरूप राज्य को वित्तीय अराजकता से बाहर निकाला जा सका. राजद के शासन काल में चारा, अलकतरा, दवा और जमीन जैसे दर्जनों घोटाले हुए. जिसमें तत्कालीन सरकार के दर्जन भर मंत्रियों को न केवल इस्तीफा देना पड़ा बल्कि उसी घोटाले का परिणाम है कि कोर्ट से सजा मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जेल में बंद है.

बेहतर वित्तीय प्रशासन व प्रबंधन के लिए वित विभाग के तमाम पदाधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि 2005-06 तक तो न आर्थिक सर्वेक्षण होता था और न ही बजट पूर्व विभिन्न तबकों से रायशुमारी करने की कोई परिपाटी थी. बजट भी दो भाग में पारित कराया जाता था और उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से नहीं देने के कारण सरकार केन्द्र से मदद लेने से भी वंचित रहती थी.

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