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कन्हैया-प्रशांत किशोर-शरद यादव...तेजस्वी यादव की राह में रोड़े ही रोड़े

बिहार में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले नीतीश कुमार के दुर्ग को भेदने के लिए सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. महागठबंधन में शामिल सहयोगी दल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को सीएम पद चेहरा मानने के लिए सहमत नहीं हैं तो कन्हैया कुमार की रैलियों में उमड़ती भीड़ ने भी आरजेडी को बेचैन कर दिया है. इन सबके बीच प्रशांत किशोर भी बिहार के सियासी मैदान में एंट्री करने जा रहे हैं.

तेजस्वी यादव, शरद यादव, कन्हैया कुमार (फोटो-Getty Images) तेजस्वी यादव, शरद यादव, कन्हैया कुमार (फोटो-Getty Images)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST

  • बिहार में बिछाई जाने लगी सियासी बिसात
  • पीके राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में उतरेंगे
  • शरद यादव भी बने तेजस्वी की राह में रोड़ा

दिल्ली चुनाव के बाद अब बिहार की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. जेएनयू में हुए नारेबाजी कांड से चर्चित हुए कन्हैया कुमार इन दिनों बिहार की सियासत में जगह बनाने के लिए बेताब हैं तो लालू प्रसाद यादव के सियासी वारिस माने जाने वाले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी रथ यात्रा के जरिए अपनी दावेदारी को मजबूत करने में लगे हैं.

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इस बीच, सियासी मैनेजर और जेडीयू से निष्कासित प्रशांत किशोर भी एक्टिव हो रहे हैं और नए प्लान के साथ बिहार में उतरेंगे. इन सारे दांवपेच के बीच मंझे हुए राजनेता शरद यादव के घर हुई बैठक में महागठबंधन में शामिल 4 दलों ने साफ किया कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर वे सहमत नहीं है. इससे साफ जाहिर है कि तेजस्वी की राह में रोड़े ही रोड़े नजर आ रहे हैं.

कन्हैया की सक्रियता से तेजस्वी की बढ़ेगी बेचैनी

कन्हैया कुमार बिहार में पिछले 20 दिनों से जन गण मन यात्रा के जरिए सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ लगातार रैलियां कर रहे हैं. कन्हैया ने 30 जनवरी से गांधी आश्रम भितिहरवा से अपनी यात्रा की शुरुआत की जगह-जगह उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा. हालांकि इन रैलियों में जिस तरह से दलित और मुस्लिम समुदाय का उन्हें समर्थन मिल रहा है, उससे कन्हैया के हौसले बुलंद हैं.

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बिहार की सियासत को लेकर कन्हैया की गंभीरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली में चुनाव के बावूजद वो लगातार बिहार में भी यात्रा करते रहे. कन्हैया अपनी रैलियों में निशाने पर भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनाते दिख रहे हों लेकिन इससे बेचैनी तेजस्वी के खेमे में बढ़ती तय दिख रही है. क्योंकि कन्हैया की रैलियों और बढ़ती लोकप्रियता से आरजेडी का वोट बैंक ही बंटने का अंदेशा है.

PK की बिहार में दस्तक

उधर प्रशांत किशोर का प्लान भी तेजस्वी खेमे की चिंता बढ़ाने वाला है. जेडीयू से नाता तोड़कर अलग हो चुके प्रशांत किशोर बिहार से दूरी नहीं बनाएंगे और न ही सियासी मैनेजर की भूमिका में राज्य में किसी पार्टी के लिए काम करेंगे. बल्कि राजनीतिक रूप से सक्रिय होकर मैदान में उतरेंगे. यह भी बात साफ है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ वो काम नहीं करेंगे, लेकिन सूत्रों की मानें तो बिहार में प्रशांत किशोर कांग्रेस को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. प्रशांत अगर कांग्रेस से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ते हैं तो साफ है कि तेजस्वी की सियासी राह में मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं.

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तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने पर राजी नहीं सहयोगी

बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने को लेकर महागठबंधन में शामिल सहयोगी दल राजी नहीं हैं. शरद यादव महागठबंधन के अन्य घटक दलों के सहयोग से तेजस्वी यादव को चारों ओर घेरा डालने की कोशिश में हैं. महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी जैसे नेताओं ने शरद यादव के साथ बैठक कर लंबी बातचीत की, जिसके दो सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. पहला यह कि शरद को तेजस्वी की सरपरस्ती स्वीकार नहीं है और दूसरा, 74 वर्षीय शरद यादव बताना-जताना चाह रहे हैं कि राजनीति में अभी वह पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हुए हैं.

तेजस्वी को उतरना पड़ा मैदान में

बिहार की सियासत में चारों ओर से की जा रही घेराबंदी को देखकर तेजस्वी यादव को प्रदेश की यात्रा पर निकलने पर मजबूर होना पड़ा है. तेजस्वी यादव भी सीएए-एनआरसी-एनपीआर मुद्दों को लेकर अपना विरोध जता रहे हैं, लेकिन कन्हैया कुमार की लगातार यात्रा को देखते हुए उन्होंने अपने एजेंडे में बेरोजगारी के मुद्दे को भी शामिल किया है. तेजस्वी 23 फरवरी से बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर यात्रा निकालने जा रहे हैं. तेजस्वी अपने निशाने पर नीतीश कुमार को ले रहे हैं.

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