
बिहार में तीन सीटों के लिए हो रहा उपचुनाव में सूबे नए राजनैतिक समीकरणों की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है. यहां अररिया लोकसभा और जहानाबाद व भभुआ विधानसभा सीट के लिए चुनाव होने हैं. इन तीन सीटों के लिए एनडीए और यूपीए गठबंधन आमने सामने हैं. हालांकि यूपीए गठबंधन की तरफ से आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. वहीं, एनडीए गठबंधन की तरफ से नीतीश कुमार की जेडीयू ने कहा है कि वो किसी भी सीट पर उपचुनाव नहीं लड़ेगी.
अब इन तीन सीटों के लिए यूपीए की तरफ से कांग्रेस भभुआ सीट पर दावेदारी कर रही है तो दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन के दो घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हम पार्टी जहानाबाद सीट के लिए अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. भभुआ सीट के लिए कांग्रेस का तर्क है कि पिछले चुनाव में वहां से आरजेडी या कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं था. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की तरफ से इस सीट पर जनता दल यू का उम्मीदवार खड़ा था. लेकिन आरजेडी ने साफ कर दिया है कि वो इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी. माना जा रहा है कि भभुआ से रामचन्द्र यादव आरजेडी के उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि, इस सीट पर पिछले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी.
अब जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी गठबंधन में हैं. इसलिए सिटिंग सीट होने के नाते दावा बीजेपी का ही है. जहानाबाद सीट पर आरजेडी का सिटिंग विधायक है, इसलिए यूपीए की तरफ से किसी और पार्टी ने दावा भी नहीं किया. जबकि एनडीए की तरफ से पिछले चुनाव में ये सीट राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी को गई थी. अब इस सीट पर रालोसपा का दावा तो बनता है लेकिन हम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी भी यहां से टिकट की होड़ लगा रहे हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया से आरजेडी के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन जीते थे. लेकिन उस चुनाव में उनके खिलाफ बीजेपी और जनता दल यू ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. दूसरे नंबर पर बीजेपी रही थी, लेकिन जनता दल यू और उसके वोटों में बहुत ज्यादा का अंतर नहीं था. अब होने जा रहे उपचुनाव में इस सीट से भी जनता दल यू ने अपना दावा छोड़ दिया है. यहां बीजेपी अपना उम्मीदवार देगी.
देखा जाए तो बिहार में इस नए समीकरण में जनता दल यू ने दरियादिली दिखाई है, लेकिन आरजेडी ने ऐसा नहीं किया है. दो सीटों पर तो उसका दावा बनता ही है, लेकिन भभुआ सीट भी वो कांग्रेस के लिए छोड़ने के मूड में नजर नहीं आ रही है. अगर, ऐसा होता है तो आरजेडी का ये छोटा कदम 2019 में विपक्षी एकजुटकता की राह का बड़ा रोड़ा साबित बन सकता है.