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कुशवाहा की इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए नीतीश, सुशील मोदी और पासवान

बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच असंतोष की अटकलों के बीच उपेंद्र कुशवाहा की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी और लोजपा से कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ.

इफ्तार पार्टी के दौरान उपेंद्र कुशवाहा इफ्तार पार्टी के दौरान उपेंद्र कुशवाहा
जावेद अख़्तर
  • पटना,
  • 11 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST

आगामी लोकसभा चुनाव के मुद्देनजर बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. एक तरफ जहां राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से बीजेपी के सामने महागठबंधन का रास्ता खोजा जा रहा है, वहीं बिहार में क्षेत्रीय दलों के बीच भी गोटियां खेली जा रही हैं. एनडीए के घटक दलों में बिखराव की अटकलों के बीच रविवार को जब राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया तो उसमें उनके सहयोगी दल के नेता ही नहीं पहुंचे.

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दरअसल, बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच असंतोष की अटकलों के बीच रविवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया. निमंत्रण के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी और लोजपा से कोई भी नेता इफ्तार में शामिल नहीं हुए.

इस घटना के बाद राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने रालोसपा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से कहा कि वह राजग छोड़कर उनकी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो जाएं क्योंकि एनडीए में उन्हें बीते चार सालों से 'नजरंदाज' किया गया है.

हालांकि, कुशवाहा ने तेजस्वी का यह निमंत्रण ठुकरा दिया और इस बात पर जोर दिया कि वह एनडीए में हैं और नरेंद्र मोदी को 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए काम कर रहे हैं.

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दूसरी तरफ दिलचस्प बात ये है कि रालोसपा ने एनडीए के सभी घटक दलों को इफ्तार पार्टी का न्योता भेजा था, बावजूद इसके बीजेपी के एक दो नेताओं को छोड़कर कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा. रालोसपा के प्रवक्ता अभयानंद सुमन ने बताया कि इफ्तार पार्टी का निमंत्रण बिहार में एनडीए के सभी घटक दलों जदयू, भाजपा और लोजपा को उनके कार्यालयों में भेजा गया था.

दरअसल, कुशवाहा की इफ्तार पार्टी में जदयू और लोजपा नेताओं के न पहुंचने के बड़े मायने निकालने जा रहे हैं. अब तक ये चर्चा है कि बीजेपी से नाखुश जदयू, रालोसपा और लोजपा साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ सकते हैं. दूसरी तरफ प्रदेश के बीजेपी नेता भी 2019 में अपने दम पर चुनाव लड़ने की मांग पार्टी फोरम पर रख चुके हैं. ऐसे में रालोसपा की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार और राम विलास पासवान का न पहुंचना क्या राजनीतिक रुख लेता है, ये तो वक्त ही बताएगा.

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