
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में वायरल फीवर-डेंगू के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है. वहीं, बिहार में भी बड़ी संख्या में वायरल फीवर के मामले सामने आ रहे हैं. कई अस्पताल पूरी तरह से मरीजों से भर गए हैं और बेड्स की भी कमी देखी जाने लगी है.
पटना के चार बड़े अस्पताल- नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस और पटना एम्स में बच्चों के लिए मौजूद लगभग सभी बेड्स के भरने की सूचना है.
पटना के एनएमसीएच में बच्चों के लिए 84 बेड्स की व्यवस्था है, लेकिन फिलहाल 87 बच्चों का इलाज चल रहा है. एनएमसीएच के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. बिनोद कुमार सिंह ने कहा कि बदलते मौसम के कारण बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार की समस्या हो रही है और अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो इन्फ्लूएंजा और निमोनिया का खतरा होता है.
उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कोई कमी नहीं है, लेकिन अस्पताल में और बच्चों को एडमिट नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ''फिलहाल हर बच्चों के बिस्तर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है लेकिन अगर ज्यादा संख्या में बीमार बच्चे आते हैं तो उन्हें फर्श पर बेड लगाकर इलाज करना होगा, जोकि बहुत मुश्किल काम है.''
पटना एम्स में बच्चों के 80 फीसदी बेड्स फुल
जहां तक पटना एम्स की बात है तो वहां भी बच्चों के बेड्स करीब 80 फीसदी फुल हैं. बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. लोकेश तिवारी ने बताया कि अस्पताल में फिलहाल बच्चों के लिए 60 बेड की व्यवस्था है, जिसमें से 80 फीसदी बेड्स ऐसे बीमार बच्चों से भरे हुए हैं, जिन्हें वायरल फीवर की शिकायत है. उन्होंने बताया कि अभी अस्पताल में बच्चों के लिए बिस्तरों की कोई कमी नहीं है लेकिन अगर भविष्य में स्थिति और बिगड़ती है तो लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे घर पर भी अपने बच्चों का सुरक्षित इलाज कर सकते हैं.
वहीं, पटना से 20 किलोमीटर दूर वैशाली जिले के हाजीपुर में पिछले एक हफ्ते में 20 बच्चे बीमार पड़ चुके हैं, जिनमें से एक की मौत भी हो चुकी है. हाजीपुर सदर अस्पताल के स्पेशल वार्ड में फिलहाल 7 बच्चे भर्ती हैं.