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नीतीश मंत्रिमंडल विस्तारः 31 मंत्रियों में 17 नए चेहरे, जानिए क्या है जातीय गणित

चौथी बार बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने इस बार अपने मंत्रिमंडल का चेहरा बिल्कुल बदल दिया. उन्होंने इस बार पुराने चेहरों के बजाए नए चेहरों पर ज्यादा भरोसा किया है. 

नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार (फाइल फोटो) नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार (फाइल फोटो)
सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:43 PM IST
  • 85 दिनों के बाद हुआ मंत्रिमंडल का विस्तार
  • बीजेपी ने अपर कास्ट पर ज्यादा भरोसा किया

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार गठन के 85 दिनों के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. मंगलवार को 17 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. अब नीतीश के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या बढकर 31 हो गई है. चौथी बार बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने इस बार अपने मंत्रिमंडल का चेहरा बिल्कुल बदल दिया. उन्होंने इस बार पुराने चेहरों के बजाए नए चेहरों पर ज्यादा भरोसा किया है. 

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इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 31 सदस्यीय उनके मंत्रिमंडल में 17 यानि 54 फीसदी से ज्यादा नए चेहरे हैं. ये नए चेहरे भी हैं और युवा भी. सभी तीन से पांच बार तक लगातार विधानसभा का चुनाव जीतते रहे, लेकिन उन्हें पहले मंत्रिमंडल में कभी जगह नहीं मिली. इस मामले में जेडीयू से बीजेपी का योगदान ज्यादा रहा है क्योंकि बीजेपी ने ही ज्यादातर नए चेहरे दिए हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार की बात की जाए तो नीतीश कुमार ने सबसे ज्यादा अपर कास्ट को तरजीह दी है. 17 में से कुल 7 मंत्री अपर कास्ट से आते हैं, जिनमें राजपूत 4, ब्राह्मण 2 और एक कायस्थ जाति से हैं. पूरे मंत्रिमंडल की बात करें तो 31 में 11 मंत्री अपर कास्ट के हैं यानि 35 फीसदी से ज्यादा अपर कास्ट के मंत्री हैं, जबकि अति पिछड़ा जो नीतीश कुमार का वोट बैंक है, उसकी बात की जाए तो कुल 4 मंत्री अति पिछड़ी जाति से हैं.  कुर्मी-कुशवाहा की संख्या 4 है, जबकि यादव 2, वैश्य 2, दलित 5 और मुस्लिम समुदाय से 2 मंत्री हैं. अगर पिछड़ा और अति पिछड़ा को मिला लिया जाए तब भी अपर कास्ट से प्रतिशत ज्यादा नहीं होगा.

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बीजेपी ने अपर कास्ट पर ज्यादा भरोसा किया. उसने 7 मंत्री अपर कास्ट से बनाए हैं, जबकि जेडीयू ने 4 मंत्री दिए हैं. इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में पहली बार मुस्लिमों को शामिल किया गया है. बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन को केंद्र की राजनीति से बुलाकर बिहार में मंत्री बनाया है तो जेडीयू के पास जब कोई मुस्लिम चेहरा नहीं था तब बीएसपी के टिकट पर जीते मोहम्मद जमा खान को अपनी पार्टी में शामिल कर उन्हें मंत्री बनाया है.

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