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बिहार: 500 करोड़ रु, 5 लाख कर्मचारी...ऐसे पूरी होगी जाति आधारित जनगणना

बिहार में आज से जाति आधारित जनगणना शुरू हो गई है. इस काम में बिहार सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी जबकि 5 लाख कर्मचारी मिलकर पूरे राज्य में इस सर्वे को अंजाम देंगे.इसमें सरकारी कर्मचारी के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी भी काम करेंगी. मई 2023 तक इस सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

बिहार में जातिगत जनगणना शुरू बिहार में जातिगत जनगणना शुरू
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 07 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:56 PM IST

बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण की कवायद शनिवार को शुरू हो गई. इस काम के लिए बिहार सरकार ने 5 लाख से अधिक कर्मचारियों को काम पर लगाया है जिन्हें इसके लिए बकायदा पिछले दिनों ट्रेनिंग भी दी गई थी. बिहार सरकार ने मई तक जातीय सर्वेक्षण का काम समाप्त करने का लक्ष्य रखा है.

पटना में डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के नेतृत्व में वार्ड नंबर 27 से जाति सर्वेक्षण कराने का काम शुरू हुआ. पटना में डॉ. जाकिर कमाल रिजवी का परिवार जातीय सर्वेक्षण में नाम दर्ज करवाने वाला पहला परिवार बना है.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण की शुरुआत पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि इससे सरकार को कम विकसित लोगों के उत्थान के लिए नीति और रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.

राज्य में सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को दी गई है और यह कवायद दो चरणों में की जाएगी, पहले आवासीय घरों और परिवारों की गिनती के साथ जो आज से शुरू हुई और 21 जनवरी तक जारी रहेगी. इस चरण में, आवासीय घरों और परिवारों की सूची के अलावा, परिवार के मुखिया का नाम और घर के सदस्यों की संख्या का भी दस्तावेजीकरण किया जाएगा.

सर्वेक्षण का दूसरा चरण 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलेगा. दूसरे चरण में लोगों की जाति, उपजाति, धर्म और वार्षिक आय सहित परिवार की आर्थिक स्थिति से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा.

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राज्य सरकार ने मई 2023 तक जाति आधारित सर्वेक्षण कराने की प्रक्रिया को पूरा करने का लक्ष्य रखा है. जिला स्तर पर सर्वेक्षण कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिलाधिकारियों को दी गई है. इस कार्य के लिए जिलों में नोडल अधिकारी को नामित किया गया है.

सर्वेक्षण करने का कार्य सामान्य प्रशासन विभाग, जिलाधिकारियों, ग्राम स्तर, पंचायत स्तर के कर्मियों, विभिन्न विभागों के अधीनस्थ कार्यालयों के कर्मचारियों को सौंपा जायेगा. इस काम में 'जीविका दीदियों' और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी सहयोग लिया जाएगा.

जीएडी ने यह भी निर्णय लिया है कि सर्वेक्षण में किसी भी कारण से यदि बिहार के कुछ निवासी राज्य या देश से बाहर हैं तो उनकी भी गणना की जाएगी. इस सर्वेक्षण पर राज्य सरकार पैसे खर्च करेगी. इस काम के लिए सरकार ने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये का बजट रखा है. 

इससे पहले पिछले साल जून में इस काम को फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन बाद में सर्वेक्षण कार्य पूरा करने की समय सीमा को 3 महीने बढ़ाकर मई 2023 तक कर दिया गया.

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने की शुरुआत का स्वागत किया और कहा कि इस कवायद से सरकार को वैज्ञानिक आंकड़े मिलेंगे ताकि लोगों के लिए बजट और सामाजिक कल्याण योजनाओं की योजना बनाई जा सके.

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