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बिहार में होगा महाराष्ट्र जैसा घमासान! चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस में लोकसभा सीट को लेकर ठनी

आजतक से खास बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि मैं साल 2019 में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. तब भइया के कहने पर चुनाव लड़ा था. उस समय चिराग को उन्होंने हाजीपुर की सीट नहीं दी. तो अब तो मैं ही इसका हकदार हूं. 

पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान (file photo). पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान (file photo).
सुजीत झा/संदीप आनंद
  • हाजीपुर,
  • 06 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST

महाराष्ट्र में चल रही चाचा-भतीजे की राजनीतिक लड़ाई अब बिहार में भी एंट्री लेती नजर आ रही है. कारण, यहां हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर केंद्रीय मंत्री रहे स्व. रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस और बेटे चिराग पासवान आमने-सामने नजर आ रहे हैं.

दरअसल, बुधवार को रामविलास पासवान की जयंती पर चिराग पासवान ने ऐलान किया है कि वह हाजीपुर लोकसभा सीट से साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मैदान में होंगे. चिराग ने कहा है कि यह मेरे पिता की विरासत है. स्व. रामविलास पासवान के भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा ''मैं तो वहां का सांसद हूं और बड़े भाई ने हाजीपुर सीट मुझे दी थी. इसलिए यहां से लोकसभा चुनाव तो मैं ही लडूंगा.''

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अब तो मैं ही हाजीपुर सीट का हकदार

आजतक से खास बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि मैं साल 2019 में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. तब भइया के कहने पर चुनाव लड़ा था. उस समय चिराग को उन्होंने हाजीपुर की सीट नहीं दी. तो अब तो मैं ही इसका हकदार हूं. 

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस.

महाराष्ट्र की लड़ाई अलग, हम चाचा-भतीजे की अलग- केंद्रीय मंत्री पारस

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि चिराग पासवान कहां है इसका पता उन्हें खुद नहीं है. वह खुद कहते हैं कि मैं किसी गठबंधन में नहीं हूं. पारस ने यह भी कहा कि चिराग की NDA से कोई बातचीत नहीं हो रही है. जनाधार मेरे पास है तारापुर और कुशेश्वर स्थान उप-चुनाव में यह साबित हो गया है. भविष्य में हम चाचा-भतीजा एक नहीं हो सकते. क्योंकि कोई पार्टी टूटती है तो फिर मिल जाती है लेकिन यहां तो दिल टूटा है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे की लड़ाई और बिहार में हम चाचा-भतीजे की लड़ाई अलग है.

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5 बार डिप्टी सीएम, 4 साल में तीसरी बार बने उप मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र की सियासत में 2 जुलाई का दिन बड़े उलटफेर वाला रहा. NCP नेता ने पार्टी से बगावत कर डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. उन्होंने दावा किया कि पार्टी के 40 विधायक उनके साथ हैं. अजित के साथ 9 अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. डिप्टी सीएम बनते ही अजित पवार ने तुरंत अपने ट्विटर बायो भी बदल लिया था. 

अजित पवार ने अपने पॉलिटिकल करियर में अब तक 5 बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली, जबकि वह पिछले 4 साल में तीसरी बार उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 2 जुलाई 2023 (रविवार) को डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने से पहले अजित ने साल 2019 में भी इसी पद की शपथ ली थी, लेकिन बतौर डिप्टी सीएम उनका वह कार्यकाल सबसे छोटा था.

क्योंकि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार महज 80 घंटे में गिर गई थी. इसके बाद अजित उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले एमवीए गठबंधन सरकार में भी डिप्टी सीएम बने थे, लेकिन ये सरकार पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद गिर गई थी. लिहाजा अजित ढाई साल तक डिप्टी सीएम के पद पर रहे थे. अजित ने सबसे पहले साल 2010 में अजित ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन उनका नाम 2013 में एक घोटाले से जुड़ता है, इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इसी साल उन्हें क्लीन चिट मिली और वह एक बार फिर से डिप्टी सीएम बने थे.

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महाराष्ट्र में चल रहा है सियासी ड्रामा.

अब पार्टी के नाम और निशान की लड़ाई

NCP के नाम और निशान पर दावे को लेकर अजित और शरद पवार दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच गए हैं. पहले शरद पवार गुट ने अर्जी लगाई थी. इसमें कहा गया कि कोई भी एनसीपी पर अपने आधिपत्य का दावा आयोग के सामने करे तो आयोग शरद पवार पक्ष को भी जरूर सुने. इसके कुछ घंटों बाद अजित पवार गुट ने चालीस से अधिक विधायकों के शपथ पत्र के साथ पार्टी पर दावा ठोका. अजित पवार गुट ने चालीस से ज्यादा विधायकों/सांसदों और MLC के हलफनामे के साथ पार्टी पर अपना दावा किया है.

हालांकि, आज उनकी मीटिंग में 31 विधायक ही पहुंचे थे. वहीं शरद गुट का दावा है कि उनके पास 13 विधायकों का समर्थन है. हालांकि इस संख्या बल को लेकर दोनों गुटों की ओर से अलग अलग दावे किए जा रहे हैं, हालांकि इसे लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है. इसके साथ ही शरद पवार गुट ने आयोग से गुहार लगाई कि कोई भी अगर एनसीपी पर अपने अधिकार और नाम निशान पर दावा करे तो आयोग उनकी दलीलें भी सुने.

 

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