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'पिता के नाम का पर्याय बन गया है हाजीपुर', चिराग पासवान ने बताया क्यों अड़े हैं इस सीट के लिए

एनडीए में शामिल होने के बाद चिराग पासवान ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि उन्हें लिए हाजीपुर लोकसभा सीट क्यों चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सीट मेरे पिता रामविलास पासवान का पर्याय बन गई है.

चिराग पासवान (फाइल फोटो) चिराग पासवान (फाइल फोटो)
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

एनडीए में शामिल होने के बाद एलजेपी (रामविलास) के चीफ और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि उन्हें हाजीपुर लोकसभा सीट क्यों चाहिए. चिराग ने कहा कि हाजीपुर पर दावा करने के लिए मेरे पास अपनी वजह है. वह सीट मेरे पिता रामविलास की पर्याय है और हाजीपुर के प्रति मेरी जिम्मेदारी है.

हाजीपुर सीट पर पशुपति पारस के दावे को लेकर जमुई सांसद ने कहा कि हर कोई अपने दावे करता है. वह वहां से मौजूदा सांसद हैं, लेकिन हाजीपुर से दावेदारी के मेरे अपने कारण हैं. मैंने जबसे होश संभाला, तबसे अपने पिता रामविलास को वहां प्रतिनिधित्व करते देखा. कुछ काम उन्होंने किए कुछ रह गए. इसलिए हाजीपुर के प्रति मेरी जिम्मेदारी है. उनके बचे हुए कामों को पूरा करना है. 

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उन्होंने दावा किया कि मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी पार्टी हाजीपुर से चुनाव लड़ेगी. वहीं जब उनसे चाचा पशुपति पारस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह मेरे चाचा ही हैं, उनके खिलाफ कभी कोई टिप्पणी नहीं की. 

जब उनसे पूछा गया कि क्या पशुपति पारस के खिलाफ भी हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता है कि ऐसी परिस्थिति आएगी. समय रास्ता निकाल ही लेगा. मै जिस परिवार से आता हूं कि वहां बड़े लोग ही ऐसे फैसले लेते हैं. फाइनली इसका निर्णय बीजेपी को ही लेना है."

समय के साथ सब ठीक हो जाएगा: चिराग

चिराग ने कहा, "समय से सब ठीक हो जाएगा और कोई रास्ता निकल आएगा, उम्मीद है कि 2024 तक चीजें ठीक हो जाएंगी. ईमानदारी से कहूं तो पिछले दो साल मेरे और परिवार के लिए कठिन समय थे, हमने कई चुनौतियां देखीं और उनका सामना किया. अब मैं बहुत आगे आ गया हूं लेकिन जब मैंने अपने चाचाजी को देखा तो वह अभी भी वहीं हैं. उन्हें उत्तेजित होते हुए देखता हुए देखता हूं तो दुख होता है." 

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मोदी कैबिनेट में शामिल होने को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गठबंधन मंत्री बनने के लिए नहीं होता है. मंत्री पद बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अधिकार क्षेत्र है कि वो किसे कैबिनेट में शामिल करना चाहते हैं. इसमें किसी का भी बातचीत करना ठीक नहीं है.

नीतियों और सिद्धांतों को लेकर गठबंधन: चिराग

चिराग ने एलजेपीआर के एनडीए में शामिल होने को लेकर कहा कि गठबंधन नीतियों, सिद्धांतों को लेकर होता है. कॉमन एजेंडा क्या है, इसको लेकर होता है. बिहार में एनडीए को मजबूती देने के लिए हमने गठबंधन किया है. हमने मंत्री बनने के लिए गठबंधन नहीं किया.

2021 में हुई थी एलजेपी में फूट

बता दें कि 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हुई थी और फिर चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बनी जो एनडीए में उस वक्त शामिल हो गई थी और फिर पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बने. दूसरी तरफ चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) बनी. हालांकि, पशुपति पारस का खेमा ज्यादा मजबूत बन गया क्योंकि चिराग पासवान को छोड़कर लोक जनशक्ति पार्टी के सभी सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए थे. 
 

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