
बिहार में भले ही बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड मिलकर सरकार चला रहे हों लेकिन कुछ दिनों से दोनों पार्टियों के बीच कहीं न कहीं शीत युद्ध चल रहा है. बिहार में ऐसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के नेता आमने-सामने है और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.
1. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
एक बार फिर से नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठा दी है. पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं मगर केंद्र सरकार इसे मान नहीं रही है.
हाल ही में नीति आयोग की एक रिपोर्ट आई थी, उसमें बिहार को कई विकास के पैमाने पर फिसड्डी दिखाया गया है चाहे वह शिक्षा हो, कुपोषण या फिर स्वास्थ्य. नीति आयोग की रिपोर्ट को ही आधार बनाकर पिछले शनिवार को बिहार सरकार की तरफ से वरिष्ठ मंत्री और जेडीयू नेता विजेंद्र यादव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को पत्र लिखा और बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई.
जेडीयू के नेताओं की तरफ से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठी तो बीजेपी इसको लेकर असहज हो गई क्योंकि केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है और वह पहले ही बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग को ठुकरा चुकी है.
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फिर क्या था.. बीजेपी की तरफ से बयानों की बाढ़ आ गई और बीजेपी कोटे से कई वरिष्ठ मंत्रियों ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं होने की बात कही. सबसे पहले बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री रेनू देवी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य की दर्जा की जरूरत नहीं है क्योंकि विशेष पैकेज के तहत बिहार को जितना पैसा मिला है वह प्रदेश के विकास के लिए काफी है.
रेनू देवी के तरफ से इस बयान के बाद बीजेपी पर पलटवार करने के लिए सीधा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही मैदान में उतर गए और उन्होंने कह दिया कि रेनू देवी को कुछ भी जानकारी नहीं है और वह इस मुद्दे पर उनसे बात करेंगे.
रेनू देवी पर हमला करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि इसका मतलब उपमुख्यमंत्री को कुछ पता नहीं है. वह आएंगी तब हम उनसे पूछेंगे. नीति आयोग को पत्र किसी मंत्री ने नहीं बल्कि बिहार सरकार के तरफ से भेजा गया है. उपमुख्यमंत्री को नहीं पता होगा तो उनको बता देंगे.
मामला मगर यहां शांत नहीं हुआ और नीतीश कुमार के बयान के बाद बीजेपी कोटे से एक और मंत्री जीवेश कुमार ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने की मांग को सही ठहराया और कहा कि विशेष राज्य का दर्जा पाने के हकदार मैदानी इलाकों वाले राज नहीं बल्कि पहाड़ी इलाकों वाले राज्य हैं.
2. जातिगत जनगणना
जातिगत जनगणना का मुद्दा बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच एक और विवाद की बड़ी वजह है. जातिगत जनगणना के मुद्दे पर लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ खड़े नजर आ रहे हैं जो बीजेपी को असहज कर रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग को लेकर पहले ही बिहार का एक सर्वदलीय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिल चुका है मगर केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया गया है कि वह देश में जातिगत जनगणना तकनीकी कारणों से कराने में असमर्थ है.
नीतीश कुमार ने पिछले दिनों स्पष्ट किया है कि बिहार सरकार अपने खर्चे पर प्रदेश में जातिगत जनगणना करा सकती है और इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है. नीतीश ने कहा है कि जल्द ही वह एक सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे और सबकी अगर एक राय होगी तो बिहार में जातिगत जनगणना राज्य सरकार करवाएगी.
मुख्यमंत्री ने बीजेपी के नेताओं को भी साफ कह दिया था कि वह अपने केंद्रीय नेतृत्व से इस मुद्दे पर बात करके अपनी पार्टी की राय सर्वदलीय बैठक में साफ करें जिसके बाद उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने दिल्ली जाकर बीजेपी आलाकमान से इस मुद्दे पर बात की.
हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि बीजेपी का बिहार में जातिगत जनगणना कराने के मुद्दे पर क्या स्टैंड है मगर नीतीश और तेजस्वी यादव का इस मुद्दे पर लगातार एक साथ होना बीजेपी को बिल्कुल भी नहीं भा रहा है.
3. शराबबंदी
शराबबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने एक बार फिर से कड़ा तेवर अख्तियार कर लिया है और पिछले 1 महीने से लगातार बिहार में शराबबंदी के कानून को लागू करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है.
एक तरफ जहां आरजेडी शराबबंदी कानून को पूरी तरीके से फेल बता रही है वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि सरकार की सहयोगी बीजेपी भी बिहार में शराबबंदी को लेकर पुनर्विचार करने की मांग लगातार उठा रही है.
पिछले दिनों पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में जहरीली शराब पीने की वजह से कई लोगों की मौत हुई जिसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने खुले तौर पर कहा कि उनके क्षेत्र पश्चिम चंपारण में पुलिस और प्रशासन शराब माफिया के साथ सांठगांठ करके शराब का धंधा कर रहा है. संजय जायसवाल ने यह भी मांग उठाई थी कि शराबबंदी के 6 साल पूरे हो गए हैं और एक बार फिर से इस कड़े कानून पर नीतीश कुमार को पुनः विचार करना चाहिए.