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तेजप्रताप पर चुनाव आयोग में झूठा शपथ पत्र देने का आरोप, केस दर्ज

बीजेपी विधान पार्षद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत संज्ञान लेने और आरजेडी विधायक  तेज प्रताप के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश कराने और सुनवाई प्रारंभ कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने का निवेदन किया है.

तेज प्रताप यादव तेज प्रताप यादव
सुरभि गुप्ता/रोहित कुमार सिंह/सुजीत झा
  • पटना,
  • 14 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. वैशाली के महुआ से विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर चुनाव आयोग में झूठा शपथ पत्र दायर करने का आरोप लगाया गया है. बीजेपी के एमएलसी सूरज नंदन कुशवाहा ने पटना की अदालत में मुकदमा दायर कर तेजप्रताप की सदस्यता रद्द करने की मांग की है.

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पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव द्वारा औरंगाबाद में 53 लाख और 34 हजार में खरीदी गई 45.24 डिसमिल जमीन का विवरण 2015 में चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में छुपाने और जनता को धोखा देने के आरोप में बीजेपी के सूरज नंदन प्रसाद ने पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मुकदमा दर्ज कराया है.

बीजेपी ने की कड़ी सजा की मांग

बीजेपी विधान पार्षद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत संज्ञान लेने और आरजेडी विधायक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश कराने और सुनवाई प्रारंभ कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने का निवेदन किया है.

शपथपत्र में नहीं दी गई जमीन की जानकारी

बीजेपी विधान पार्षद सूरज नंदन ने अपनी शिकायत में कहा है कि तेजप्रताप यादव ने औरंगाबाद में 16 जनवरी 2010 को 7 लोगों से अलग-अलग डील के जरिए आईसीआईसीआई बैंक के चेक से 53 लाख और 34 हजार रुपए का भुगतान कर 45.24 डिसमिल जमीन खरीदी, मगर 2015 में चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र में जानबूझकर संपत्ति को छुपा लिया, जबकि इस जमीन पर फिलहाल लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से Hero Honda का शोरूम चल रहा है. गौरतलब है कि जानबूझकर संपत्ति का ब्योरा छुपाना ना केवल चुनाव आयोग को धोखा देना है बल्कि लोकप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है.

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7 साल तक की सजा का प्रावधान

गौरतलब है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत जहां जानबूझकर तथ्यों को छुपाने और झूठे शपथ पत्र दाखिल करने पर सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान वहीं IPC के अंतर्गत 7 साल तक की सजा का प्रावधान है.

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