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बिहार: तेजस्वी की विधानसभा में आता है ये गांव, 30 दिन में हुईं 17 मौतें, पलायन कर रहे लोग

पंचायत के मुखिया मुजाहिदअनवर का कहना है कि 12 अप्रैल से 12 मई के बीच ये मौतें हुई हैं. इस दौरान उन्होंने ज़िले के तमाम अधिकारियों के साथ अपने विधायक और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को भी फोन किया लेकिन उन्होंने मदद तो दूर फोन भी नहीं उठाया. मुखिया ने कहा कि अगर वो थोड़ी मदद करते तो गांव में सेनेटाइजेशन हो जाता, लोगो की जांच हो जाती. 

बिहार के गांव से पलायन कर गए कई लोग बिहार के गांव से पलायन कर गए कई लोग
सुजीत झा
  • पटना ,
  • 27 मई 2021,
  • अपडेटेड 5:41 PM IST
  • कोरोना के खौफ की वजह से कई लोग गांव से पलायन कर गए
  • 12 अप्रैल से 12 मई के बीच 17 मौतें

बिहार के वैशाली जिले में कोरोना के खौफ की वजह से कई लोग गांव से पलायन कर गए हैं. जिले के मंसूरपुर गांव में एक महीने में 17 मौत होने से लोगों में दहशत है. कोरोना के कहर ने इस गांव को इलाके में अछूत बना दिया है. गौरतलब है कि मंसूरपुर गांव आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर के अंतर्गत आता है. गांव के लोगों का आरोप है कि तेजस्वी यादव ने उनकी कोई मदद नही की. 

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आपको बता दें कि वैशाली का मंसूरपुर गांव राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से तेजस्वी यादव विधायक हैं. इस गांव में एक महीने के अंदर 17 लोगो की मौत हो गई, जिसमें अधिकतर जवान थे. चक सिकंदरपुर पंचायत के मंसूरपुर गांव में कोरोना के मामले तो कम आए हैं, लेकिन खौफ कम नही हुआ है. 

पंचायत के मुखिया मुजाहिदअनवर का कहना है कि 12 अप्रैल से 12 मई के बीच ये मौतें हुई हैं. इस दौरान उन्होंने ज़िले के तमाम अधिकारियों के साथ अपने विधायक और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को भी फोन किया लेकिन उन्होंने मदद तो दूर फोन भी नहीं उठाया. मुखिया ने कहा कि अगर वो थोड़ी मदद करते तो गांव में सेनेटाइजेशन हो जाता, लोगो की जांच हो जाती. 

घरों पर लटक रहे ताले

मंसूरपुर के मोहम्मद मंजूर अपने परिवार समेत यहां से पलायन कर गए हैं. मंजूर की पत्नी जूही और सास की मौत कोरोना से हो गई थी. दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. मंजूर के घर में हुई मौत इस गांव में कोरोना से हुई मौत की पहली घटना थी. लेकिन उसके बाद मौत का सिलसिला बन गया. मौत के गांव में मंजूर के परिवार से पूरे गांव ने दूरी बना ली, जिसकी वजह से ये परिवार पलायन के लिए मजबूर हुआ. 

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गुजरात मे काम करने वाले कुद्दुश आलम की पत्नी गुलनाज बेगम की मौत भी कोरोना से हो गई. कुद्दुश आलम गुजरात में थे तब उन्हें पता चला कि पत्नी की तबीयत खराब है, वो भागे भागे आये और अपनी पत्नी को बचाने के जीतोड़ कोशिश की लेकिन बचाया नही जा सका. इन्होंने अपनी पत्नी का कोरोना टेस्ट भी कराया था. इनकी पांच बेटियां और एक बेटा है. 

गांव में कोरोना का खौफ

मुखिया के घर के ठीक बगल में 32 वर्षीय साजिद की भी मौत हुई है. साजिद की 5 महीने पहले ही शादी हुई थी. साजिद के भाई जाहिद का कहा कि उनका टेस्ट भी नही हुआ लेकिन सारे लक्षण कोरोना के ही थे. इसी तरह मोहम्मद रफाकत हुसैन के भाई अताउल्ला अंसारी की मौत भी कोरोना से ही हुई. रफाकत हुसैन कहते हैं कि कोरोना से हुई लगातार मौतों की वजह से लोगों हमारे गांव से दूरी बना ली है. इसे अछूता बना दिया, कोई हमसे बात नही करता, बाजार में हमे समान नही दिया जाता. 

एक एक कर गांव में 17 मौत हुईं, लेकिन वैशाली प्रशासन ने न तो गांव में टेस्ट कराया और न ही सेनेटाइजेशन. हालांकि मौत के मंजर के बाद यहां के लोगों ने अब वैक्सीन लेना जरूर शुरू किया है. 

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