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छिड़ गया है MCD का संग्राम, तैयारियों से दूर हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता

दिल्ली में MCD चुनाव की घोषणा के बाद से ही दिल्ली कांग्रेस में दो बार एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग बुलाई जा चुकी है लेकिन दोनों बार कांग्रेस के दिग्गज नेता मीटिंग से नदारद नजर आए. ये इतिफाक समझिए या फिर सच में कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि पार्टी निगम चुनावों में जीते.

सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.
सुशांत मेहरा
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST

दिल्ली नगर निगम चुनाव की घोषणा हो गई है. राजधानी दिल्ली में 15 साल तक राज कर चुकी कांग्रेस को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है. कहा जा रहा है कि पार्टी के नेता ही कांग्रेस को डुबाने में लगे हैं. दरअसल, एक तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देश के हर राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं ताकि पार्टी को मजबूत कर सकें तो वहीं चुनावों के चलते मीटिंग को दौर शुरू हो चुका है, लेकिन इन मीटिंग से कांग्रेस के बड़े नेता गायब हैं.

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चुनावों की घोषणा के बाद से ही दिल्ली कांग्रेस में दो बार एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग बुलाई जा चुकी है लेकिन दोनों बार कांग्रेस के दिग्गज नेता मीटिंग से नदारद नजर आए. ये इतिफाक समझिए या फिर सच में कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि पार्टी निगम चुनावों में जीते. क्योंकि दिल्ली कांग्रेस की लीडरशिप शायद ये नहीं चाहती कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़े और जीत हासिल करे.

प्रदेश अध्यक्ष के व्यवहार से नाखुश दिल्ली की लीडरशिप

शीला दीक्षित के अध्यक्ष पद के हटने के बाद दिल्ली कांग्रेस की कमान अनिल कुमार चौधरी को सौंपी गई. 2020 में जब ये कमान सौंपी गई तब से लेकर अब तक अनिल चौधरी दिल्ली कांग्रेस की बागडोर संभाल रहे, लेकिन पदभार संभालने के बाद से ही कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन, अरविंदर सिंह लवली, सुभाष चोपड़ा, राजेश लिलोठिया, संदीप दीक्षित नाखुश चल रहे हैं और धीरे-धीरे किनारा करते रहे. आलम यह है कि ना तो कोरोनाकाल में, ना किसी धरना प्रदर्शन में कांग्रेस की लीडरशिप ज्यादतर नजर नहीं आती. अकेले अनिल चौधरी कांग्रेस का झंडा उठाकर लड़ाई लड़ रहे हैं. दिल्ली कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अनिल चौधरी ने भी कभी दिग्गज नेताओं के साथ ना तो मिलना सही समझा और ना ही कांग्रेस को आगे कैसे लेकर जाना है, इन नेताओं से बातचीत की.

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कौन-कौन से नेता मीटिंग से गायब

संदीप दीक्षित
अजय माकन
जेपी अग्रवाल
कृष्णा तीरथ
सुभाष चोपड़ा
हारून यूसुफ
अरविंद सिंह लवली
रमाकांत गौसमी
राज कुमार चौहान
डॉक्टर विजेंदर
उदित राज
किरण वालिया- बीमारी के कारण मीटिंग में शामिल नहीं.
राजेश लीलोठिया हिमाचल के चुनावों के व्यस्त हैं.
मुकेश शर्मा

कौन कौन से नेता मीटिंग के हुए शामिल

पूर्व सांसद रामेश कुमार
पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर
डॉक्टर नरेंद्र नाथ
जय किशन
बलराम तंवर
कुंवर करण सिंह
अनिल भारद्वाज
अमरीश गौतम
वीर सिंह दीघान 
भीष्म शर्मा

जब नेता साथ नहीं तो क्या जनता देगी कांग्रेस का साथ

सवाल यह है दिल्ली में निगम का चुनाव अगले कुछ दिनों में होना है. सत्ता पक्ष आम आदमी पार्टी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा 15 साल से निगम की सत्ता पर राज कर रही बीजेपी हर कीमत पर चुनाव में आम आदमी पार्टी को पटखनी देने में लगी हुई है, लेकिन यह दोनों ही दल कांग्रेस को किसी पायदान पर खड़ा नहीं मानते. क्योंकि यह दोनों दल भी जानते हैं कि दिल्ली कांग्रेस की लीडरशिप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ नहीं खड़े हैं. अगर पार्टी के नेता ही साथ खड़े नहीं होंगे तो ऐसे में तमाम कार्यकर्ता कैसे कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे और जनता का साथ कांग्रेस को कैसे मिलेगा?

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कांग्रेस का खड़ा होना किसके लिए फायदेमंद और नुकसानदायक

कांग्रेस का मजबूती से चुनाव लड़ना बीजेपी के लिए फायदेमंद तो आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदायक है. माना जा रहा है कि 2013 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी में ट्रांसफर हो रहा है. आलम यह है कि कांग्रेस के कई बड़े नेता यहां तक कि निगम की बागडोर संभालने वाले भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. अब ऐसे में अगर कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ती है तो आम आदमी पार्टी के लिए 2017 की तरह नुकसान होगा और बीजेपी को दोनों पार्टियों में बंटने से एक बार फिर से फायदा मिलेगा सकेगा. दिल्ली बीजेपी सूत्रों की मानें तो बीजेपी की दिल्ली लीडरशिप भी चाहती है कि कांग्रेस दिल्ली में मजबूत हो, ताकि उसको फायदा मिल सके.

 

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