
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भाकपा माले ने नीतीश सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को सहयोग के लिए लंबी चौड़ी शर्तें भी रख दी है. लेफ्ट पार्टी बाहर से सरकार का समर्थन कर रही है.
भाकपा-माले के नेताओं ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें लंबी चौड़ी मांगों की एक लिस्ट सौंपी है. सात दलों के सहयोग से बनी महागठबंधन की सरकार को अभी 164 विधायकों का समर्थन प्राप्त है लेकिन अलग-अलग पार्टियों की अपनी मांगें भी हैं.
इससे पहले मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कांग्रेस, आरजेडी और हम के विधायक जुगत में लगे हुए हैं. इधर माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने अपनी मांगों की लिस्ट के साथ विधायकों संग सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है.
दीपांकर भट्टाचार्या के अलावा पार्टी नेताओं ने नीतीश कुमार के सामने कई शर्तें रखी हैं और ताकीद भी किया है कि इसका पालन किया जाना चाहिए. माले सरकार को बाहर से समर्थन देगी और मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी.
मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान माले के 12 विधायक मौजूद थे. सियासी चर्चाओं की मानें तो दीपांकर ने नीतीश कुमार से हंसते हुए अपनी मांगें मुख्यमंत्री के सामने रखी. सीपीआई एमएल की मांग है कि अग्रिनवीर और अग्निपथ स्कीम के साथ एनटीपीसी में हुए आंदोलनों के दौरान गिरफ्तार सभी लोगों को रिहा किया जाए और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.
सीपीआई एम एल ने साथ ही ये भी मांग रखी है कि शराबबंदी के बाद भी कई लोगों की जहरीली शराब पीने से जान चली गई. ऐसे में शराब माफिया पर कार्रवाई की जाए और शराब के मामलों में गिरफ्तार लोगों को रिहा किया जाए.
उसके अलावा माले की ओर से ये मांग भी की गई है कि बिहार की जनता भारी बिजली बिल से परेशान हैं. सबको दो सौ यूनिट बिजली फ्री दी जाए. इन मांगों के अलावा पार्टी की ओर से नीतीश कुमार को भारी भरकम जन कल्याणकारी मांगों से जुड़ी सूची सौंपी गई है और इसे लागू करने की मांग की गई है.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विधायक आलाकमान को पत्र लिखकर खुद को मंत्री बनाये जाने की अपील कर चुके हैं. जीतन राम मांझी अलग डिमांड कर रहे हैं. जबकि तेज प्रताप अपने मंत्रालय को लेकर काफी गंभीर हैं और उनकी मांग कुछ और है.
बताया जा रहा है कि नीतीश के साथ तेजस्वी भी मंत्रिमंडल बंटवारे को लेकर परेशान हैं. कहा जा रहा है कि जिन चेहरों को नीतीश तरजीह देना चाहते हैं, वे विधान परिषद से आते हैं और यदि विधान परिषद से ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया गया, तो पार्टी में फूट पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
आपको बता दें कि पिछली सरकार में संजय कुमार झा और अशोक चौधरी को मंत्री बनाया गया था, दोनों विधान परिषद से आते हैं. इधर उपेंद्र कुशवाहा भी जेडीयू से विधान पार्षद हैं. अगर नीतीश कुमार इस बार विधायकों में से किसी का चयन नहीं करते हैं तो विधायक इस बार अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते है.
वहीं ये भी चर्चा है कि तेजस्वी फिलहाल नीतीश कुमार के आदेश और उनके अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं. जेडीयू की ओर से लिस्ट फाइनल होने के बाद तेजस्वी अपनी लिस्ट फाइनल करेंगे.