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DMCH का हाल...'बेटे की तबीयत बिगड़ती गई, नर्स मोबाइल देखने में व्यस्त रही' नवजात की मौत पर भड़के परिजन 

चाइल्ड वार्ड में भर्ती नवजातों की मौत के बाद दरभंगा मेडिकल कॉलेज में जमकर हंगामा हुआ. परिवारवालों ने नवजातों के इलाज में लापरवाही करने का आरोप डॉक्टरों पर लगाया है. अस्पताल में कार्यरत नर्सों पर मोबाइल में व्यस्त रहने का इल्जाम लगाया. वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बच्चे अस्पताल में बहुत ही सीरियस हालत में लाए गए थे.

दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल
aajtak.in
  • दरभंगा,
  • 08 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST

बिहार के दरभंगा के मेडिकल कॉलेज में दो नवजातों की मौत होने पर जमकर हंगामा किया गया है. परिवार वालों का आरोप है कि इलाज में लारपवाही की गई. जिसके कारण उनकी जान चली गई. दोनों नवजात की मौत के बाद अस्पताल में परिवारवालों ने जमकर हंगामा किया. इलाज में लापरवाही किए जाने के आरोप को अस्पताल प्रबंधन ने सिरे से खारिज किया है.

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दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ( DMCH) शिशु विभाग में इलाज के लिए भर्ती कराए गए दो नवजात की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ. जानकारी के मुताबिक, पिता अमित कुमार यादव ने अपने नवजात को इलाज के लिए DMCH के शिशु विभाग में इलाज  के लिए भर्ती कराया था. अस्पताल में भर्ती नवजात को देखने के लिए जब नर्स से बोला गया तो वो अपने मोबाइल में ही व्यस्त रही. बार-बार बुलाने पर ना तो नर्स आई और ना ही कोई डॉक्टर आए.

कुछ देर बार एक डॉक्टर आए तो हमने उनसे नवजात की स्थिति खराब होने की बात कही. बच्चे को देखने के बाद वे बोले परेशानी की कोई बात नहीं है. जिसकी कुछ देर बाद बच्चे की सांसे थम गई. मृतक के पिता अमित कुमार यादव का कहना है कि DMCH में इलाज नहीं होता है. यहां केवल इलाज के नाम पर धांधली होती है.

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परिजनों ने किया अस्पताल में प्रदर्शन

नवजातों की मौत के बाद परिवारवालों ने अस्पताल की मुख्य सड़क पर बैठकर डॉक्टरों की लापरवाही का जमकर विरोध किया. मुख्य रास्ता बंद होने के कारण अस्पताल के बाहर जाम जैसी स्थिति बन गई. फिर मौके पर पहुंचे कुछ सीनियर डॉक्टरों के मनाने पर विरोध कर रहे लोगों ने रास्ता खोला.

परिवार पर लगाए आरोप

DMHC के उप अधीक्षक डॉ. हरेंद्र कुमार ने मृतकों के परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि, शिशु विभाग में ज्यादातर बच्चे तब लाए जाते हैं जब उनकी हालत बहुत सीरियस हो जाती है. अस्पताल में बच्चों का बेहतर इलाज किया जाता है. बच्चों को बचाने का प्रयास पूरा ईमानदारी के साथ किया जाता है. लेकिन सभी बच्चे नहीं बच पाते हैं. परिवार के लोग असल परिस्तिथि को नहीं समझ पाते.

( रिपोर्ट - प्रह्लाद कुमार )

 

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