
पटना में मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रही आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गई. पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठियां चलाईं और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांग है कि उनका मासिक वेतन बढ़कर ₹25000 किया जाए और आंगनबाड़ी सहायिका का ₹18000 किया जाए.
बिहार के कैमूर जिले में आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करने वाली दुर्गा कुमारी मेहता कुशवाहा समाज से आती है. दुर्गा कुमारी मेहता कहती हैं कि उन्हें आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर मासिक ₹5950 रुपए मिलते हैं. दुर्गा बताती है कि उनके वेतन में ₹1450 रुपए सिर्फ बिहार सरकार देती है और बाकी पैसे केंद्र से आता है. पिछले 1 महीने से दुर्गा कुमारी बिहार की अन्य आंगनबाड़ी सेविकाओं की तरह मासिक वेतन बढ़ाने को लेकर आंदोलन कर रही है.
'विधानसभा का घेराव करने पहुंची आंगनबाड़ी वर्कर्स'
मंगलवार को जब दुर्गा कुमारी मेहता बिहार के विभिन्न हिस्सों से आई आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ जब अपनी मांगों को लेकर बिहार विधानसभा का घेराव करने पहुंचीं तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया.
'हमें बदले में मिलीं सिर्फ लाठियां'
दुर्गा कुमारी मेहता अकेली नहीं है जो अपनी मांग को लेकर पटना में आंदोलन करने पहुंची थीं. पटना के फतुहा से पटना विधानसभा का घेराव करने आशा देवी भी पहुंची थीं. आशा देवी दलित समाज से आती हैं और उन्होंने भी अपनी मांगों को लेकर पटना में आंदोलन किया, मगर बदले में आंगनबाड़ी सेविकाओं को मिली तो केवल लाठियां.
'हमने भी जाति गणना में योगदान दिया'
पटना में जो आंगनबाड़ी सेविकाओं ने प्रदर्शन किया, उसमें से कई पिछड़े और अति पिछड़े समाज से आती हैं और उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में जो जातीय जनगणना का काम करवाया है, उसमें पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी सेविकाओं ने भी अपना योगदान दिया है, मगर उन्हें बदले में केवल लाठियां मिल रही हैं.
'हम चाहते हैं वेतन बढ़ाया जाए'
कैमूर से आई आंगनबाड़ी सेविका दुर्गा कुमारी मेहता ने कहा, नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना केवल अपने वोट के फायदे के लिए कराई है. हमें इससे क्या मतलब. सरकार को हमसे मतलब नहीं है और हमारी मांगें नहीं सुनी जा रही हैं. हम चाहते हैं कि हमारा वेतन बढ़कर महीने का ₹25000 किया जाए. अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाएंगी तो हम 10 नवंबर तक ऐसे ही पटना में आंदोलन करते रहेंगे.
'सरकार ने कहा, अब नए सिरे से बनेंगी योजनाएं'
गौरतलब है कि नीतीश कुमार सरकार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में जातीय जनगणना सर्वे रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि इस रिपोर्ट के बनने के बाद सरकार अब बिहार में पिछड़े और अति पिछड़े समाज के लोगों के साथ शोषित और वंचितों के विकास के लिए भी नए सिरे से योजनाएं बनाएगी. वहीं, दूसरी तरफ सैकड़ों की संख्या में बिहार के विभिन्न हिस्सों से आंगनबाड़ी सेविकाओं ने पटना में बड़ा आंदोलन किया.
'आज बिहार जल रहा है...'
वहीं, बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी विधायक तारकिशोर प्रसाद ने कहा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरी हैं लेकिन पानी की बौछारों की मदद से उन्हें तितर-बितर किया जा रहा है. आपने अलग-अलग कर्मचारियों पर लाठीचार्ज होते देखा होगा.लोग जब वे अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरते हैं तो पटना में पिटाई की जाती है. यह सरकार अहंकारी है, इसे किसी की परवाह नहीं है. इनके नेता और उप नेता प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. ये असमर्थ हैं इससे बाहर निकलना है और बिहार आज जल रहा है.