
बिहार में जाति आधारित जनगणना के बाद आरक्षण में संशोधन हो गया है. गुरुवार को नीतीश सरकार ने विधानसभा के पटल पर आरक्षण संशोधन बिल 2023 पेश किया, जो सर्वसम्मति से पास हो गया. विपक्षी बीजेपी ने भी इस बिल का समर्थन किया. माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले INDIA अलायंस के बड़े चेहरे नीतीश कुमार ने ओबीसी-ईबीसी को साधने का नया दांव खेला है. इसके साथ ही वर्ग को संदेश देने की कोशिश की है. नीतीश सरकार के इस दांव का ST वर्ग को भी लाभ मिला और इस वर्ग का आरक्षण भी डबल हो गया है.
बता दें कि इस बिल के तहत बिहार में आरक्षण का दायरा 60 प्रतिशत से बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया है. राज्य सरकार की तरफ से 65 प्रतिशत और EWS के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 10 प्रतिशत रिजर्वेशन लागू होगा. अब यह विधेयक विधान परिषद में पेश किया जाएगा. फिर राज्यपाल की मंजूरी मिलेगी और यह कानून बन जाएगा. बिहार में जातीय जनगणना के अनुसार, पिछड़ा वर्ग (OBC) और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की कुल आबादी 63.13 फीसदी है. इस वर्ग को अब सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कुल 43 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा.
'डबल हो गया ST का रिजर्वेशन'
अब तक इन दोनों वर्गों को 30 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था. सरकार ने सीधे 13 प्रतिशत आरक्षण बढ़ा दिया है. इसी तरह, अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण भी डबल कर दिया है. पहले ST वर्ग को एक प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता था, अब बढ़ाकर दो प्रतिशत कर दिया है.
'जातीय सर्वे के बाद लिया फैसला'
पिछड़ा वर्ग (BC) को अब 18 प्रतिशत और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को 25 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. पहले EBC वर्ग को 18 और BC वर्ग को 12 फीसदी आरक्षण मिल रहा था. विधानसभा के पटल पर विधेयक पारित होने पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार का बयान आया. उन्होंने कहा, जातीय सर्वे में यह स्पष्ट हुआ कि अवसर और स्थिति में समानता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछड़ा वर्ग, एससी और एसटी समाज के बड़े हिस्से को बढ़ावा देने की जरूरत है. अभी सरकारी सेवाओं में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक रूप से कम है. इसलिए हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए सरकार ने आरक्षण में संशोधन करने का फैसला लिया है. हालांकि, इस विधेयक में EWS का जिक्र नहीं है. बीजेपी ने सरकार पर सवाल उठाया है.
किस जाति को कितना फायदा हुआ? जानिए...
वर्ग | अब कितना आरक्षण | पहले कितना था आरक्षण | कितनी आबादी |
पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग | 43% | 30% | 63.13% |
अनुसूचित जाति वर्ग | 20% | 16% | 19.65% |
अनुसूचित जनजाति वर्ग | 2% | 1% | 1.68% |
आर्थिक रूप से पिछड़ा सामान्य गरीब वर्ग | 10% | 10 % | -- |
कुल आरक्षण | 75% |
'चुनावी तैयारियों के बीच चर्चा में ओबीसी'
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों का मुख्य फोकस ओबीसी वर्ग पर है. यही वजह है कि बिहार में जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने हर चुनावी राज्य में सरकार बनने पर जातीय जनगणना कराए जाने का ऐलान किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी ओबीसी आरक्षण का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. राहुल ने अपनी कई चुनावी सभाओं में ऐलान किया है कि केंद्र में INDI अलायंस की सरकार बनती है तो सबसे पहले जातीय जनगणना कराएंगे और ओबीसी वर्ग को उसका हक दिलाएंगे.
'ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश?'
हालांकि, बीजेपी भी लगातार खुद को ओबीसी वर्ग से जोड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ दिखावा कर रही है. जमीनी तौर पर ओबीसी के लिए काम नहीं करती है. इस सब चर्चा के बीच बिहार में महागठबंधन की सरकार ने एक और बड़ा दांव चलकर संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि, बीजेपी ने भी ओबीसी-ईबीसी और एससी-एसटी आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक का समर्थन किया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या कहा...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, अब आरक्षण 75 प्रतिशत होगा, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत शामिल है, जिसे केंद्र ने कुछ साल पहले पेश किया था और हमने इसे राज्य में भी लागू किया है. नीतीश का कहना था कि जाति सर्वे के बाद रिजर्वेशन का दायरा बढ़ाया गया है. इस सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी 9 दलों के बीच आम सहमति बनी है. सर्वे के जरिए हमें एक व्यापक डेटा मिला है. हम इसका उपयोग समाज के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए और अधिक उपाय पेश करने के लिए करेंगे. मुझे खुशी होगी अगर केंद्र भी पूरे देश में जाति जनगणना और रिजर्वेशन बढ़ाने के लिए सहमत हो जाए.
'बिहार को दिया जाए विशेष राज्य का दर्जा'
नीतीश का कहना था कि हर जाति में गरीब लोग हैं. सिर्फ आरक्षण बढ़ाने की बात होती तो मंडल कमीशन की जरूरत नहीं होती. बीजेपी इसका समर्थन करती है. चुनावी राजनीति का खेल नहीं खोला जाए. नीतीश ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई. उन्होंने कहा, प्राचीन काल से हमारी भूमि इतनी पवित्र रही है. हमें अपने खोए हुए वैभव को वापस पाने के लिए कुछ मदद की जरूरत है. विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो फिर बिहार बहुत आगे बढ़ जाएगा. सभी मिलकर चलें.
बिहार में किस धर्म की कितनी आबादी?
धर्म | आबादी | प्रतिशत |
हिन्दू | 107192958 | 81.99% |
इस्लाम | 23149925 | 17.70% |
ईसाई | 75238 | 0.05% |
सिख | 14753 | 0.011% |
बौद्ध | 111201 | 0.0851% |
जैन | 12523 | 0.0096% |
अन्य धर्म | 166566 | 0.1274% |
कोई धर्म नहीं | 2146 | 0.0016% |
किस वर्ग की कितनी आबादी?
वर्ग | आबादी | प्रतिशत% |
पिछड़ा वर्ग | 35463936 | 27.12% |
अत्यंत पिछड़ा वर्ग | 47080514 | 36.0148% |
अनुसूचित जाति | 25689820 | 19.6518% |
अनुसूचित जनजाति | 2199361 | 1.68% |
अनारक्षित | 20291679 | 15.5% |