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जीतन राम मांझी को है अपने बंगले से प्यार, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अड़े!

जीतन राम मांझी ने कहा कि हम पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं और अभी 7वीं बार विधायक भी हैं. जिस मकान में अभी रहते हैं वो पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आवंटित नहीं था. जब विधायक और मंत्री थे तब भी इसी में रहते थे. यह बंगला विधायक के रूप में मिला है.

जीतन राम मांझी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) जीतन राम मांझी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 19 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपने वर्तमान सरकारी बंगले से बेहद प्रेम है, लेकिन पटना हाईकोर्ट के आदेश की वजह से उन्हें ये बंगला खाली करना पड़ सकता है. जीतन राम मांझी की दलील है अगर उन्हें यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित किया गया है तो सरकार उसे विधायक के रूप में कर सकती है. चूंकि वो 7वीं बार विधायक बने हैं और इस नाते उसी वरिष्ठता के आधार पर उन्हें ही ये बंगला मिलना चाहिए. मांझी का कहना है कि वो कई वर्षों से इसमें रहते आ रहे हैं. चाहे वो विधायक रहे हों या फिर मंत्री लेकिन इसी बंगले में रहे हैं.

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दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले सरकारी बंगले को खाली करने का आदेश दिया है. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए जीतनराम मांझी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्रियों के आवास को खाली करने के आदेश के बाद मकान खाली हुए हैं. अब पटना हाईकोर्ट ने मकान खाली करने का आदेश दिया है, हम उस आदेश का पालन करते हैं. उन्होंने कहा कि हम पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं और अभी 7वीं बार विधायक भी हैं. जिस मकान में अभी रहते हैं वो पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आवंटित नहीं था. जब विधायक और मंत्री थे तब भी इसी में थे. यह बंगला विधायक के रूप में मिला है.

मांझी ने कहा कि अगर कागज की बात है तो बिहार सरकार कागज को काटकर विधायक के रूप में कर सकती है, अगर नहीं करेगी तो खाली करने की बात होगी. अगर सरकार चाहेगी खाली करें तो बिना समय गवाएं हम मकान को खाली कर देंगे, बशर्ते हमारा रहने का कहीं और इंतजाम कर दें.

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मांझी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने का बिहार सरकार का प्रावधान काफी अच्छा फैसला था, क्योंकि जो पूर्व मुख्यमंत्री होता है उसका कद और काफी बढ़ जाता है. उसके काम का दायरा भी बढ़ जाता है, लोग इज्जत करते हैं और उस रूप में सैकड़ों लोगों का कल्याण होता है. बिहार सरकार ने पहले जो किया था वो सोच समझकर किया था. उसमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2009 में कानून बनाकर यह व्यवस्था की थी कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास की सुविधा मिलती रहेगी.

पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास छोड़ने पड़ेंगे. इसमें पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लालू प्रसाद यादव, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह के नाम शामिल हैं. ये सभी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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