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किडनैपिंग केस में पहले मंत्री पद गया और आज कोर्ट में पेशी... क्या जेल जाएंगे कार्तिकेय सिंह?

बिहार में कार्तिकेय सिंह ने 16 अगस्त को मंत्रिपद की शपथ ली थी. इसके बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया था. लेकिन वे अपहरण के एक पुराने मामले को लेकर मंत्रिपद की शपथ लेने के बाद से विवादों में थे. इसके बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय वापस लेकर गन्ना उद्योग मंत्रालय दे दिया था. इसके बाद कार्तिकेय ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.

कार्तिकेय सिंह ने बुधवार को नीतीश कैबिनेट से दिया इस्तीफा कार्तिकेय सिंह ने बुधवार को नीतीश कैबिनेट से दिया इस्तीफा
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

बिहार में नीतीश कुमार की कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके आरजेडी विधायक कार्तिकेय सिंह की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. 2014 के अपहरण के एक मामले में कार्तिकेय सिंह को दानापुर कोर्ट से 1 सितंबर तक गिरफ्तारी से छूट मिली थी. इस मामले में आज दानापुर कोर्ट में सुनवाई जारी है. माना जा रहा है क कि कोर्ट का फैसला शाम 4.30 बजे तक आ सकता है. अब कोर्ट के फैसले पर ही निर्भर करेगा कि गिरफ्तारी पर लगी रोक आगे बढ़ेगी या उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. 

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दरअसल, कार्तिकेय सिंह ने 16 अगस्त को नीतीश कुमार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रिपद की शपथ ली थी. इसके बाद उन्हें नीतीश कुमार ने कानून मंत्री बनाया था. लेकिन वे अपहरण के एक पुराने मामले को लेकर मंत्रिपद की शपथ लेने के बाद से विवादों में थे. इसके बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय वापस ले लिया था. उन्हें गन्ना उद्योग मंत्रालय दिया गया था. हालांकि, इसके कुछ घंटों बाद ही कार्तिकेय सिंह ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. कार्तिकेय सिंह को अनंत सिंह का करीबी माना जाता है. 

2014 में अपहरण का है मामला?
 
कार्तिकेय सिंह के खिलाफ पटना के कोतवाली थाना समेत मोकामा और बिहटा में कई अपराधिक मामले दर्ज बताये जाते हैं. कार्तिकेय सिंह का नाम साल 2014 में राजीव रंजन उर्फ राजू सिंह के अपहरण मामले में आया था. राजू सिंह, कभी अनंत सिंह के करीबी सहयोगी थे. 2014 में पटना के पास से उन्हें वित्तीय लेनदेन के विवाद में कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था. बाद में पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला था.

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पुलिस ने इस मामले में अनंत सिंह के अलावा कार्तिकेय सिंह और अन्य को भी आरोपी बनाया था. बिहटा पुलिस ने कार्तिकेय सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें 363 (अपहरण), 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), और 365 शामिल हैं.

सरेंडर करने के बजाय शपथ लेने पहुंचे 

19 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. कार्तिकेय सिंह के खिलाफ दानापुर कोर्ट ने इस साल जुलाई में कार्तिकेय सिंह के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था और मोकामा पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. इसकी एक कॉपी पटना के एसपी को भी भेजी गई थी. इस मामले में बिहटा पुलिस पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है. उन्हें 16 अगस्त को दानापुर कोर्ट में सरेंडर करने के लिए कहा गया था. लेकिन इसके बावजूद वे इसी दिन राजभवन में शपथ लेने पहुंचे थे.

कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक- कार्तिकेय सिंह 

कार्तिकेय सिंह का कहना था कि मैंने एमएलसी बनने से पहले ही हलफनामे में इस केस का जिक्र किया था. उन्होंने बताया था कि दानापुर कोर्ट ने 12 अगस्त को ही 1 सितंबर तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.

 

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