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'फैसले की घड़ी आ चुकी है..', पूर्व CM मांझी के बयान से बिहार की सियासी हलचल हुई तेज

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान दिया है. मांझी ने कहा कि महागठबंध और एनडीए दोनों तरफ से हमारी पार्टी पर विलय करने का दवाब था. उन्होंने नीतीश कुमार से शराबबंदी को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की भी मांग की.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि महागठबंधन और एनडीए दोनों तरफ से हमारी पार्टी पर विलय करने का दबाव था. हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष मांझी ने कहा कि हम नीतीश के साथी हैं इसलिए उन्हें आईना भी दिखाते हैं. मांझी ने कहा, 'नीतीश के साथ रहने की कसम खाई है, इसका मतलब ये नहीं को नीतीश जी को गलत करने दें. नीतीश को शराबबंदी पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.'

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अमित शाह से हुई मुलाकात पर मांझी ने कहा,'अमित शाह से मिले तो क्या उन्हें नाराज कर दें? हमको सबसे काम पड़ता है.' इसके बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा था, 'दसरथ मांझी को भारत रत्न की उपाधि दी जाए, इसे लेकर मैंने अमित शाह ने बात की और उन्होंने कहा कि हम कार्रवाई करेंगे.'

फैसले की घड़ी

इससे पहले पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा, 'हम गठबंधन में हैं, दवाब हम पर बहुत है, चाहे वो इस गठबंधन में रहे या उसमें... स्पष्टता हमारी कमजोरी रही है. इसलिए मैं कहता हूं... दवाब इस कदर कि आप मेरे साथ चले आइए, मेरे साथ चले आइए हो रही है. हम लोगों को निर्णय़ लेना होगा.. एक फैसले की घड़ी आ चुकी है कि हम लोगों को कि क्या करना है.. हमारा एक-एक वोटर चाहता है कि हम किसी भी पार्टी के साथ विलय ना करें, और ना ही हम करेंगे. '

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पायलट का दिया उदाहरण

इतना ही नहीं मांझी ने कहा, 'जब सचिन पायलट अशोक गहलोत के खिलाफ अनशन या आंदोलन कर सकते हैं तो क्या जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं कर सकते हैं? हम समय-समय पर बोल देते हैं, वो अलग बात है कि उसका जवाब नहीं आता है.'

पुरानी टीस

इससे पहले अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने अपने पुराने जख्मों पर मरहम लगाते हुए कहा कि 19 फरवरी 2015 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. उन्होंने कहा, 'अगर हमारे पास 50 एमएलए की ताकत होती तो हमें पद से हटाने की किसी की हिम्मत नहीं होती. अगर मुख्यमंत्री के पद से नहीं हटाया जाता तो 5 साल की बात तो दूर, हम बिहार को 2 साल में ही टेकुआ (बोरियां सिलने वाली सुई) की तरह सीधा कर देते.'

 

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