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बिहार का 'दानवीर चायवाला', जिसने लोगों की सेवा के लिए बेच दिया खुद का मकान

बिहार के गया में 'दानवीर चायवाला' के नाम से मशहूर संजय चंद्रवंशी पिछले 35 सालों से गरीब और असहाय लोगों की मदद करते आ रहे हैं. गरीबों की मदद करने का जूनून उन पर इस कदर सवार है कि उन्होंने लोगों की सेवा के लिए अपना खुद का मकान तक बेच डाला. अब वह किराए के मकान में रह रहे हैं. फिर भी लोगों की सेवा कर रहे हैं.

पिछले 35 सालों से कर रहे गरीबों की सेवा. पिछले 35 सालों से कर रहे गरीबों की सेवा.
बिमलेन्दु चैतन्य
  • गया,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST

पिछले कुछ समय से पूरे हिंदुस्तान में चाय वालों की धूम मची हुई है. चाहे वह ग्रेजुएट चायवाला हो या फिर एमबीए चाई वाला. यहां तक कि इंजीनियर चाय वाला भी चर्चा में रहा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चाय वाले से मिलवाएंगे जो इन सभी चाय वालों से बिल्कुल हटकर है. ये है गया का 'दानवीर चायवाला'. यह ऐसा चाय वाला है जो पिछले 35 सालों से गरीब और असहाय लोगों की मदद करता आ रहा है.

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लोगों की सेवा करने के लिए इस दानवीर चायवाला ने अपना मकान तक बेच डाला. फिर उन पैसों को गरीबों की मदद के लिए इस्तेमाल किया. अब वह परिवार के साथ किराए के मकान में रहता है. इस दानवीर चायवाला का नाम संजय चंद्रवंशी है. संजय चंद्रवंशी के अंदर सेवा की ये भावना उनके पिता वनवारी राम को देख कर ही आई है. संजय के परिवार में यह दानशीलता की परंपरा उनके पर दादा के समय से चली आ रही है.

पत्नी बनाती है गरीबों के लिए खाना
संजय चंद्रवंशी ने बताया कि पिछले ढाई सौ वर्षों से उनकी पांच पीढ़ियां दानवीरता की गाथा लिख रही हैं. उन्होंने बताया कि उनका दिन अल सुबह चींटी को चीनी देने के साथ शुरू होता है. इसके बाद संजय की चाय की दुकान पर विक्षिप्त, अर्ध विक्षिप्त, भिखारी, रिक्शावाला, असहाय और गरीब लोगों का आना शुरू हो जाता है.

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इन सभी को संजय अपने हाथों से चाय बनाकर बिस्किट के साथ देते हैं. उधर उनकी पत्नी सभी गरीबों के लिए खाना बनाती हैं. उनका बेटा खाना लेकर दुकान में आता है. फिर वे मिलकर गरीबों को खाना भी खिलाते हैं.

11 लाख में बेचा खुद का मकान
दानवीर चायवाला संजय ने बताया कि उनकी एक चाय और जूस की दुकान है. इससे जो भी पैसा उन्हें मिलता है उससे वह गरीबों और असहाय लोगों की मदद करते हैं. सजंय ने बताया कि गया के कंडी नवादा में उन्होंने एक आशियाना बनाया था. लेकिन बीच में पैसों की कमी के कारण वह लोगों की सेवा नहीं कर पा रहे थे. इसलिए 11 लाख रुपये में उन्होंने अपना मकान बेच दिया. उन्होंने ये भी बताया कि कई लोग उनके इस काम में मदद करने के लिए आगे भी आते हैं. लेकिन वह किसी से मदद नहीं लेते.

 

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