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बिहारः पं. राजकुमार शुक्ल के गांव से रिपोर्ट, जहां कभी गांधीजी आए थे, आज उसकी हालत कितनी खराब?

बिहार के चंपारण के मुरली भरवाह गांव से लोग अब पलायन करने को मजबूर है. ये गांव स्वतंत्रता सेनानी पंडित राजकुमार शुक्ल का गांव है. इस गांव में कभी गांधीजी आए थे. लेकिन इस गांव में आज तक विकास नहीं हुआ है. नेपाल की पांडुई नदी में बाढ़ आने से यहां भी हालात खराब हो गए हैं. लोगों के पास खाने-पीने को भी नहीं है.

अक्टूबर 2018 में इस मूर्ति स्थापित हुई थी अक्टूबर 2018 में इस मूर्ति स्थापित हुई थी
सुजीत झा
  • चंपारण,
  • 01 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST
  • मुरली भरवाह गांव से ग्राउंड रिपोर्ट
  • लोगों के पास खाने-पीने को भी नहीं
  • गांव में घर के घर बाढ़ में डूब गए

गांधी को जिस चंपारण ने महात्मा की उपाधि दी थी. उन महात्मा गांधी को चंपारण बुलाने वाले पंडित राज कुमार शुक्ल के गांव मुरली भरवाह का अस्तित्व अब खतरे में है. नेपाल से आने वाली पांडुई नदी ने ऐसी तबाही मचाई कि लोग पलायन करने को मजबूर हैं. 

मंगलवार रात नेपाल में हुई भारी बारिश की वजह पांडुई नदी में भयानक उफान आया और लोगो को संभलने का मौका तक नहीं मिला. गांव की 65 वर्षीय जशोदा देवी अपनी व्यथा सुनाते-सुनाते रो पड़ती हैं. जशोदा का कहना है कि घर में जो भी अनाज था सब बह गया. उसी समय अपने दो बच्चों और पत्नी समेत महेंद्र यादव पूरा समान बैल गाड़ी पर लाद कर किसी ऊंचे स्थान पर जाते दिखे. महेंद्र ने कहा दो दिनों से बच्चों ने कुछ खाया नहीं है. उनकी पत्नी ने कहा कि घर पूरी तरह बह गया है.

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मुरली भरवाह में 27 अप्रैल 1917 को गांधी जी आए थे. ये बाते यहां लगे शिलालेख में लिखा है. अंग्रेजो ने पंडित राजकुमार शुक्ल के घर मे लूटपाट की थी उसी को देखने गांधी जी अपने सहयोगियों के साथ आए थे.

गांव में चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ है.

पांडुई नदी की बाढ़ से पूरा गांव पानी-पानी हो गया है. गांव के सभी घरों में पानी था. लोगो ने किसी तरह जान बचाई. हालांकि. पानी अब उतर गया है लेकिन पूरे गांव मे कीचड़ ही कीचड़ है. सड़क का नामोनिशान नहीं है.

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गांधी को यहां आए 100 साल से ज्यादा हो गया है. आजादी के 74वें वर्ष में चल रहे हैं लेकिन पंडित राजकुमार शुक्ल के इस ऐतिहासिक गांव में विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है. बिजली है लेकिन सड़क नहीं है. गांधी जी के यहां आने के 100 साल बाद 27 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां आए थे. उन्होंने गांव के विकास के बहुत वादे किए. उनमें से सिर्फ एक बिजली लाने का वादा ही अब तक पूरा कर पाए हैं. गांव के लोगों को इसको लेकर शिकायत है. उन्होंने पांडुई नदी पर बांध बनाने, सड़क, अस्पताल बनाने की बात की थी लेकिन 4 साल से ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी गांव की सड़क में एक ईंट तक नहीं लगी है.

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गांव में सड़क तक नहीं है.

पांडुई नदी का कटाव इतनी तेजी से हो रहा है कि पंडित राजकुमार शुक्ल की 2 अक्टूबर 2018 को लगी प्रतिमा नदी में विलीन हो सकती है. चार साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 अप्रैल 2017 को जिस मैदान में लोगो को संबोधित किया था उसका आधा से ज्यादा हिस्सा नदी में समा चुका है. 

गांव के छोटन यादव ने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यहां आने से काफी उम्मीद जगी थी कि अब गांव का विकास होगा लेकिन उम्मीद पर अब पानी फिर गया है. अंग्रेज जबरन चंपारण के किसानों से नील की खेती कराते थे. उन्ही किसानों की व्यथा सुनने के लिए पंडित राजकुमार शुक्ल गांधी जी को 17 अप्रैल 1917 को चंपारण लेकर आए थे. 2017 में चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मनाया गया. करोड़ों रुपये खर्च हुए लेकिन मुरली भरवाह गांव आज भी विकास से कोसों दूर है.

 

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