Advertisement

कोरोना: पति के इलाज के लिए 26 दिन 'सिस्टम' से लड़ी, छेड़छाड़ भी हुई, जानें रुचि की कहानी

पटना के इस निजी अस्पताल ने अपने यहां भर्ती मरीजों के लिए ही ब्लैक में ऑक्सीजन बेचा और रुचि ने अपने पति के जीवन को बचाने के लिये खरीदा भी, लेकिन वह अपने पति को बचा नहीं सकी.

रूचि और रौशन (फाइल फोटो) रूचि और रौशन (फाइल फोटो)
सुजीत झा
  • पटना ,
  • 10 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • पांच साल पहले हुई थी शादी
  • 26 दिनों तक अलग-अलग अस्पतालों में पति को कराया भर्ती
  • डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही आई सामने
  • अस्पताल में स्टाफ ने की छेड़छाड़

कोरोना महामारी लोगों को न केवल शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर  तोड़ रही है, बल्कि इस समय मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं. ऐसी ही एक कहानी है रुचि और रौशन की.

रुचि 26 दिन तक अपने पति रौशन के लिए अस्पताल के कुप्रबंधन से लड़ती रही लेकिन फिर भी अपने पति को बचा न सकी. इस दौरान अस्पताल के स्टाफ ने उससे छेड़खानी भी की. पैसे को लेकर शोषण हुआ सो अलग, इन सब बातों को याद करके रुचि का रोना नहीं रुकता. रुचि ने जो झेला वो भयावह है. उसने अपने पति की आंखों में ऑक्सीजन खत्म हो जाने का भय देखा.

Advertisement

पटना के इस निजी अस्पताल ने अपने यहां भर्ती मरीजों के लिए ही ब्लैक में ऑक्सीजन बेचा और रुचि ने अपने पति के जीवन को बचाने के लिये खरीदा भी, लेकिन वह अपने पति को बचा नहीं सकी.

रुचि ने डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के बारे में आजतक को बताया, उससे तो यही लगता है कि कोरोना से एक बार के लिए बच भी सकते हैं लेकिन हॉस्पिटल की लापरवाही से जान जाना तय है. 26 दिनों तक पति के साथ साये की तरह रही रुचि अपने पति को बचा नहीं पाई. रुचि अपने पति के साथ होली में परिवार वालों से मिलने भागलपुर आई थी.

9 अप्रैल को पति रौशन को सर्दी बुखार हुआ. इलाज के लिये एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. रुचि देखभाल के लिये किसी तरह वहां मौजूद रहती थी. उसी दौरान अस्पताल के एक कर्मचारी ने उसके साथ छेड़खानी की, जिसे बीमार पति ने भी देखा. लेकिन लाचार पति कुछ न कर सका.

Advertisement

डॉक्टरों द्वारा ठीक से देखभाल न करने की वजह से रुचि ने अपने पति को मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया. वहां के हालात और बुरे थे. ICU में एक के बाद एक लोग मरते जा रहे थे, कोई किसी की नहीं सुन रहा था. रुचि ने बताया कि एक आदमी, डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाते-चिल्लाते बेड से गिर गया, उसका माथा फट गया. चारों तरफ खून बिखर गया.

इसके बावजूद डॉक्टरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. आरोप लगा कि डॉक्टर और नर्स अपने कमरे में लाइट ऑफ कर मोबाइल पर पिक्चर देखते रहते थे, लेकिन कोई मरीज को देखने नहीं जाता था.

रुचि की बड़ी बहन ऋचा सिंह का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ गंदी नजर से देखते थे. और बार-बार शरीर छूने की कोशिश करते थे. जब मायागंज अस्पताल में हालत खराब हुई, तो एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने की कोशिश भी की, लेकिन एयर एंबुलेंस समय पर नहीं मिलने के कारण पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया दिया.

आरोप है कि यहां भी गिद्ध की तरह मरीजों को लूटा गया. यहां तक कि अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी की बात कर अपने ही अस्पताल के ऑक्सीजन सिलेंडर को 50-50 हजार में बेचा.

रौशन और रुचि नोएडा में रहते थे. रौशन सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छा पैकेज पर था. लेकिन पैसा रहने के बावजूद रौशन को मौत से पहले काफी दुर्गति झेलनी पड़ी.

Advertisement

रुचि का आरोप है कि रौशन की मौत कोरोना से कम अस्पताल की कुव्यवस्था और ऑक्सीजन खत्म होने के भय की वजह से हुई. रुचि और रौशन पांच साल पहले ही शादी के बंधन में बंधे थे. रौशन को याद कर रुचि के आंसू नहीं थम रहे. 26 दिनों तक वो अपने पति के साथ लगातार अस्पताल में ही रही लेकिन वह अपने पति को न बचा सकी. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement