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दिल्ली-पटना रूट पर बीते 4 साल में मोदी सरकार ने शुरू कीं सिर्फ 4 ट्रेन

दिल्ली-पटना रूट पर बीते 4 साल में केंद्र की मोदी सरकार ने शुरू कीं सिर्फ 4 नई ट्रेन. एक RTI के जवाब में रेलवे ने कहा कि 2014 में इस रूट पर 23 जोड़ी ट्रेन थीं और अब 27 हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)
अशोक उपाध्याय/खुशदीप सहगल/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST

देश की राजधानी में आकर आजीविका कमाने वाले बिहार के लोग घर जाने के लिए ट्रेन का टिकट हासिल करने को बड़ी उपलब्धि मानते हैं. त्योहारों के सीजन में तो ये इतना मुश्किल हो जाता है जैसे कि साक्षात भगवान का मिलना. इन लोगों के लिए ट्रेन का टिकट मिलना कुछ कुछ वैसे ही है जैसे लाइसेंस-परमिट राज के दौरान टेलीफोन या रसोई गैस का कनेक्शन हासिल करना होता था.   

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बीते कई वर्षों से दिल्ली और आसपास के इलाकों में बिहार के प्रवासियों की संख्या काफी बढ़ी है. अभी भी ये लगातार बढ़ रही है. लेकिन इसके अनुपात में बिहार जाने वाली ट्रेन में बर्थ की संख्या कहीं मेल नहीं खाती.यहां तक कि जब पीक रश सीजन नहीं भी होता तब भी बिहार के लिए टिकट हासिल करना आसान नहीं होता. ऐसे में इमरजेंसी में गृह राज्य जाने वालों के लिए दो ही विकल्प बचते हैं-या तो कोटा सीटों के लिए नेताओं या सरकारी अधिकारियों से सिफारिश लगवाई जाए या फिर एजेंटों को टिकट की एवज में मोटा भुगतान किया जाए.   

हर साल दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ त्योहारों पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बिहार जाने के इच्छुक लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है. हर साल की तरह इस साल भी बिहार जाने वाली ट्रेनों के लिए टिकटों की बुकिंग चार महीने एडवांस में ही करा ली गईं.  

त्योहारों के रश को देखते हुए रेलवे ने 16 करोड़ यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए तैयारी की है. इसके बावजूद टिकटों की भारी मांग लगातार बनी हुई है. अतीत में रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए हादसों की भी नौबत आ चुकी है. 2004 में छठ पर बिहार जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा थी. तब स्टेशन पर भगदड़ मचने से पांच लोगों की मौत हो गई थी.

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वर्ष 2010 में भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ही भगदड़ से हुए हादसे में 2 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2014 में भी त्योहारी सीजन में ही इसी स्टेशन पर एक व्यक्ति की मौत हुई थी.  

दिल्ली से बिहार जाने वाली ट्रेनों के यात्रियों की तुलना में टिकटों की कमी को दूर करने में पिछली सरकारों का रिकॉर्ड भी निराशाजनक रहा है, लेकिन क्या मौजूदा सरकार ने दिल्ली और बिहार के बीच पर्याप्त ट्रेन चलाने के लिए खास कुछ किया?

लोकसभा 2014 के चुनाव में बिहार के लोगों ने बिहार और दिल्ली, दोनों ही जगह नरेंद्र मोदी के लिए जमकर वोट दिए थे. बिहार में NDA ने 40 लोकसभा सीटों में से 31 पर जीत हासिल की थी, वहीं दिल्ली में सभी 7 सीट पर कामयाबी पाई थी. ऐसे में स्वाभाविक है कि मौजूदा सरकार से बिहार के लोगों की उम्मीदें भी बहुत थीं. 

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत इंडिया टुडे ने याचिका दाखिल कर रेलवे से ये जानना चाहा कि मौजूदा सरकार ने दिल्ली और पटना के बीच कितनी नई ट्रेन चलाईं?

रेलवे की ओर से ये जवाब मिला-

1. दिल्ली-पटना के बीच 2014 में कुल 23 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस ट्रेन चल रही थीं.

2. अभी दिल्ली-पटना के बीच कुल 27 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस ट्रेन चल रही हैं.

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इसका मतलब है कि मोदी सरकार ने इस रूट पर बीते चार साल में सिर्फ 4 नई ट्रेन शुरू की हैं. ये बढ़ोतरी यात्रियों की संख्या को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही है. मांग और आपूर्ति के असंतुलन को छोड़िए, नई ट्रेनों की संख्या दिल्ली में लगातार बढ़ रही प्रवासियों की संख्या से भी कहीं मेल नहीं खाती है.

निचोड़ यही है कि जब भी कोई बिहार का व्यक्ति त्योहारों पर घर जाने की सोचता है तो उसे होने वाली दिक्कतों का खुद ही अंदाज़ लगाया जा सकता है. और इन दिक्कतों के निकट भविष्य में दूर होने की कोई संभावना भी नजर नहीं आती.

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