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फैक्ट्रियों के बिना भी हो सकता है बिहार का विकास: एडिशनल चीफ सेक्रेटरी

बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण ने कहा कि बिहार का धीरे धीरे गैर औद्योगिकरण हुआ, डालमिया नगर, मुजफ्फरपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों से उद्योग गायब हुए. फिर भी पिछले दशक में बिहार का ग्रोथ दो अंकों में रहा.

बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण (बीच में) और  बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण (बीच में) और बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी
विवेक पाठक
  • पटना,
  • 03 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

बिहार में उद्योगों की कमी और कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और पलायन पर चर्चा के दौरान बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि फैक्ट्रियों के बिना भी बिहार का विकास संभव है.

इंडिया टुडे के 'स्टेट ऑफ स्टेट' कार्यक्रम में  बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण ने कहा कि यह आम धारणा है कि विकास का मतलब सिर्फ औद्योगिक विकास है. वाशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार द्वारा लिखी गई एक किताब का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब अमेरिका में भी इस बात पर चर्चा हो रही है कि सतत विकास उत्पादन के बगैर भी बरकरार रखा जा सकता है.

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त्रिपुरारी शरण ने कहा कि जब वे कलक्टर थे तब बिहार का बजट 3000 करोड़ था, जो अब बढ़कर लाख करोड़ हो गया है. उन्होंने कहा कि बिहार विभाजन के बाद राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों और शहरों का चरणबद्ध तरीके से डीइंडस्ट्रियलाइजेशन हुआ. जो बिहार चीनी के उत्पादन में अव्वल था अब छठे पायदान पर पहुंच गया, शुगर मिल बंद हो गईं. उन्होंने कहा हमने आसान शर्तों पर कृषि आधारित उद्योगों को सब्सिडी दी जिसकी वजह से सैकड़ों राइस मिल खुलीं.

दिवाली से पहले बिहार से सभी घरों पहुंची बिजली

सड़कों और ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार में अभूतपूर्व कार्य का उल्लेख करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि बिहार में ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है और इसके लिए फंड कभी बाधा नहीं बना. उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने 'हर घर बिजली' का कार्यक्रम नवंबर 2016 में लॉन्च किया तब गांवों की हालत दयनीय थी, जले हुए ट्रांसफॉर्मर जर्जर तार देखने को मिलते थें. लेकिन हमने समयसीमा के आधार काम किया और 40000 जले हुए ट्रांसफार्मर 6 महीने में बदले.

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उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद देश के जिन 18000 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी, इसमें से 2700 गांव बिहार के थे. हमने हर गांव में बिजली का काम दिसंबर 2017 में पूरा कर लिया. लेकिन हमे एहसास हुआ कि बिहार के 1 लाख टोलों में 25000 टोले बच गए थे, तब हमने घोषणा की कि अप्रैल 2017 में यह काम पूरा हो जाएगा. कैमूर की पहाड़ी और रोहतास के कुछ क्षेत्र में ग्रिड की बिजली नहीं पहुंच सकती थी हमने वहां ऑफग्रिड सिस्टम के जरिए बिजली पहुंचाई. आज गांवों को 14-16 घंटे निर्बाध बिजली पहुंच रही है, हमारा लक्ष्य 24 घंटे बिजली का है.

बिहार के किसी भी कोने से 5 घंटे में पहुंच सकेंगे पटना

सड़क परिवहन के क्षेत्र में बिहार में हुए काम का उल्लेख करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि सड़क के क्षेत्र में हम लोगों ने ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरू की. बिहार पहला राज्य था जिसने ई-टेंडरिंग शुरू की. फंड हमारे लिए कभी बाधा नहीं बना, मुख्यमंत्री ने इसका भरपूर खयाल रखा. यूपी की तर्ज पर बने बिहार ब्रिज कॉर्पोरेशन ने 1975 से 2005 तक 319 पुल बनाए थे. लेकिन 2006 से 2009 तक हमने 1250 पुल बनाए. उन्होंने कहा कि बिहार के किसी भी कोने से अधिकतम 6 घंटे में पहुंचा जा सकता है और हम इसे 5 घंटे पर लाने पर काम कर रहे हैं.

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