
आधुनिक भारत में बिहार की नकारात्मक छवि पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि पूरी दुनिया को शिक्षा देने वाली यूनिवर्सिटी बिहार में है. पूरी दुनिया के डॉक्टर और सर्जन जिसे पिता मानते हैं वो सुश्रुत बिहार में पैदा हुए.
इंडिया टुडे के 'स्टेट ऑफ स्टेट' कार्यक्रम में राज्यपाल लालजी टंडन के कहा कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत गौरवशाली रही है. सारी दुनिया को शिक्षा देने वाली युनिवर्सिटी बिहार में थी. अगर बिहार के दलित, शोषित वर्ग में यह भावना जागृत हो जाए कि पहले सम्राट जिसने यूनान जैसी शक्ति को परास्त किया वो बिहार से है. सारी दुनिया ये मानती है कि अर्थशास्त्र में दुनिया के पहले विचारक कौटिल्य थें. आज सारी दुनिया कहती है लेकिन हम नहीं कह पाते. सर्जरी में सबसे विशेष विधा है-प्लास्टिक सर्जरी, उसके जन्मदाता सुश्रुत बिहार में पैदा हुए. सारी दुनिया के सर्जन उन्हें अपना पिता मानते हैं. ये हमारे लिए आत्मगौरव का विषय है और यह आत्मगौरव हमें राष्ट्र प्रेम की तरफ ले जाता है. इस प्रेरणा के प्रसार का माध्यम मीडिया है.
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राज्यपाल लालजी टंडन ने समाज में फैली नकारात्मकता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मीडिया के कुछ वर्ग की भूमिका दुर्भाग्यवश जिस तरह का होती जा रही है वो एक नकारात्मकता से प्रभावित है. सौ काम अच्छे हो जाए वो चर्चा का विषय नहीं है, एक काम अगर नहीं हुआ तो उसके लिए इतना शोर होता है कि जो काम किए गए हैं जनता उसे महसूस नहीं कर पाती कि उसके लिए कुछ किया जा रहा है. यह खतरनाक स्थिति है.
उन्होंने कहा कि असहमति का अधिकार, सबको है. लेकिन एक पूर्वाग्रह से इस अधिकार का प्रयोग किया जाएगा तो इससे समस्याएं खड़ी होंगी. जिस बिहार का इतिहास भारत का वैभवकाल रहा है, उस बिहार की छवि कैसी बन रही है. जिसके कारण बिहार की दुर्दशा हो रही थी उनके ऊपर अटैक नहीं हुआ और उनकी प्रशंसा में कई बार उनके सारे दोषों को छिपा दिया गया.
राज्यपाल लालजी टंडन ने इंडिया टुडे से अपील की कि समाज के वंचित वर्ग में ये बात जाए कि उन्हें जो अधिकार प्राप्त हो रहे हैं इसके पहले कभी नहीं मिले. अगर उन्हें ये आत्म विश्वास नहीं मिलेगा तो परिवर्तन नहीं होगा. जिसके पास 5 रुपये नहीं होते, उसका 5 लाख का बीमा होगा कोई सोच सकता था? लेकिन क्या समाज में ये बात चर्चा का विषय है?