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'JDU डूबता जहाज...', RCP Singh ने दिया पार्टी से इस्तीफा, बोले- ईर्ष्या का इलाज नहीं

जनता दल यूनाइटेड के नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. एक समय में वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. जबकि जदयू की ओर से वो केन्द्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. आरसीपी सिंह पर पार्टी के लोगों ने ही करप्शन को लेकर सवाल उठाए थे.

नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह (फाइल फोटो) नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह (फाइल फोटो)
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 06 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:31 PM IST
  • जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह
  • अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कभी दांया हाथ माने जाने वाले जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपीसी सिंह ने अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने नालंदा में अपने गांव मुस्तफापुर में इस इस्तीफे का ऐलान किया. हाल में जदयू ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेजने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

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पार्टी के भीतर काफी समय से उपेक्षित हो रहे आरसीपी सिंह के सियासी भविष्य को लेकर सवाल पहले ही खड़े हो रहे थे, लेकिन वो अगला कदम क्या लेंगे, सबकी नजर इसी पर थी. अब उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

आरसीपी सिंह का त्यागपत्र

'JDU डूबता जहाज...’

अपने इस्तीफे की घोषणा के साथ ही उन्होंने कहा- इस पार्टी में कुछ नहीं बचा है. वो (JDU)डूबता हुआ जहाज है. हमसे चिढ़ है, तो हमसे निपटो, हमारे पास विकल्प खुले हुए हैं. वर्तमान समय में मुझ पर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया. ये उनकी छवि को बदनाम करने की कोशिश थी.

मोदी सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद जब आरसीपी सिंह पटना पहुंचे तो तब भी उन्होंने अपनी मंशा साफ की थी. उन्होंने कहा था-वह शांत नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा था- मैं जमीन का आदमी हूं, संगठन का आदमी हूं और संगठन में काम करूंगा. 

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अब उनका ये इस्तीफा एक अप्रत्याशित घटना है. देखना होगा कि जदयू और नीतीश कुमार के बिना क्या वह फिर बिहार की राजनीति में पहले जैसा मुकाम हासिल कर पाएंगे. नौकरशाह से राजनेता बने आरसीपी सिंह कभी नीतीश कुमार के राइट हैंड माने जाते थे. वो आगे कौन सी राह चुनेंगे, ये अभी बड़ा सवाल है.

जदयू में ऐसे बने नंबर दो नेता

साल 2016 में आरसीपी सिंह को जेडीयू ने दोबारा राज्यसभा भेजा और शरद यादव की जगह राज्यसभा में पार्टी का नेता भी मनोनीत किया. वहीं नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो आरसीपी सिंह को ही पार्टी की कमान सौंपी गई. इस तरह नीतीश के बाद जेडीयू में वो नंबर दो की हैसियत वाले नेता बन गए. लेकिन मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने के बाद उनके रिश्ते में दरार आने लगी. आरसीपी को तीसरी बार जेडीयू से राज्यसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला, जिसके चलते उन्हें मोदी कैबिनेट छोड़ना पड़ा.

...जब लगे भ्रष्टाचार के आरोप

आरसीपी सिंह पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो जेडीयू ने भी कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया. आरसीपी सिंह को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे साल 2013 से 2022 के बीच जेडीयू में रहते हुए भ्रष्टाचार के जरिये अकूत संपत्ति बनाने के आरोपों पर जवाब देने को कहा.

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आरसीपी पर आरोप लगा कि जेडीयू में रहते हुए उन्होंने अकूत संपत्ति बनाई जिसमें नालंदा के दो प्रखंडों में खरीदी गई 40 बीघा जमीन का मामला भी शामिल है. आरोप है कि आरसीपी सिंह ने इन संपत्तियों का जिक्र अपने चुनावी हलफनामे में भी नहीं किया था और इसे जेडीयू से भी छिपाए रखा. आरसीपी सिंह पर अपनी पत्नी के नाम में हेर-फेर करके भी जमीन खरीदने के आरोप लगे हैं. 

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