
बिहार में एक बार फिर JDU-BJP गठबंधन टूट सकता है. बताया जा रहा है कि एक दो दिन में जेडीयू बीजेपी से अलग होने का ऐलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार आरजेडी, लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ मिल कर वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हैं.
जेडीयू बीजेपी पर अपनी पार्टी तोड़ने का आरोप लगा रही है. जेडीयू हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे चुके आरसीपी सिंह के जरिए टूट की कोशिश का आरोप लगा रही है. इतना ही नही नीतीश कुमार की पार्टी के ज्यादातर विधायक मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते. ऐसे में नीतीश कुमार आरजेडी, लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के विकल्प तलाश रहे हैं.
आरजेडी ने भी बुलाई बैठक
बिहार में सियासी घटनाक्रम को देखते हुए RJD के विधायकों की कल पटना में बैठक होनी है. जदयू-बीजेपी गठबंधन को लेकर जारी कयासों के बीच इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. आरजेडी के तमाम सांसद भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज शाम तक पटना पहुंच जाएंगे.
'कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में नीतीश कुमार'
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सीएम नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेतृत्व से संपर्क किया है. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों ने यह जानकारी देने से इनकार कर दिया कि नीतीश कुमार ने सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात की. यहां तक कि जब से आरसीपी सिंह ने इस्तीफा दिया है तब से विपक्षी दल में एक्टिव हो गए हैं. बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि आधिकारिक तौर पर स्वतंत्रता दिवस से संबंधित कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए टना जा रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह राज्य में तेजी से बदलते हालात पर भी नजर रखेंगे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच जिस तरीके से पिछले कुछ दिनों में टकराव की स्थिति बनी है, उसके बाद लगातार ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि बिहार में एनडीए सरकार गिर जाएगी और नीतीश आरजेडी के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाएंगे. दरअसल, पिछले 1 महीने के घटनाक्रम पर नजर डालें तो ऐसा साफ लगता है कि नीतीश और बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. महीनेभर में ऐसा 4 बार हुआ है, जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से कन्नी काटी है. बता दें कि नीतीश की दो हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी. 3 अगस्त को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई.
एक महीने में नीतीश से कैसे बनाई बीजेपी से दूरी?
- सबसे पहले 17 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में तिरंगे को लेकर देश के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी, मगर नीतीश कुमार इस बैठक में शामिल नहीं हुए. - उसके बाद 22 जुलाई को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया था, मगर वे उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
- 25 जुलाई को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया था, मगर वे नहीं गए.
- 7 अगस्त यानी आज भी नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया था मगर वह इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
आरसीपी प्रकरण ने आग में घी का किया काम
पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को जिस तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले को लेकर पार्टी के तरफ से स्पष्टीकरण मांगा गया था, उसके बाद आरसीपी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक से इस्तीफा दे दिया था. बिहार के राजनीतिक गलियारे में यह बात सब जानते हैं कि आरसीपी सिंह के बीजेपी नेताओं के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं और कहा जाता है कि वह जनता दल यूनाइटेड ने बीजेपी के आदमी के तौर पर काम करते हैं. शायद यही वजह है कि पिछले साल जब नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की मर्जी के बिना केंद्र में मंत्री बन गए.
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने जब आरसीपी सिंह को तीसरी बार राज्यसभा नहीं भेजा और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा तो उसके बाद नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच दूरियां बढ़ गईं. इसी बीच, नीतीश बीजेपी का 'खेल' समझ गए कि वह आरसीपी सिंह का इस्तेमाल उनको कमजोर करने के लिए कर रही है और इसीलिए वक्त रहते नीतीश ने आरसीपी सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और फलस्वरूप आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.