
विरोधियों की ओर से बिहार सरकार को गाहे-बगाहे सार्वजनिक मंच से डबल इंजन की सरकार कह कर मजाक उड़ाया जाता है. काफी दिनों से बीजेपी और जदयू को ये लग रहा था कि उनके कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल का आभाव है. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच कनेक्शन को मजबूत करने के लिए अब दोनों दलों की ओर से बड़ा कदम उठाया जा रहा है.
दोनों दलों ने फैसला किया है कि प्रदेश के हर जिलों के जमीनी कार्यकर्ता को कुछ ऐसा काम दिया जाए, जिससे सरकार को विकास योजनाओं का पता चलता रहे और कार्यकर्ताओं खुद को जिम्मेदार महसूस करें. एनडीए की बिहार में चल रही सरकार को अपने सूत्रों से पता चला है कि जिलों में अधिकारियों की मनमानी बढ़ गई है और वे बेलगाम हो गये हैं.
बीस सूत्री समिति का गठन
दोनों दलों के कार्यालयों से निकल कर आ रही खबर के मुताबिक बहुत जल्द सरकार बीस सूत्री समिति का गठन करने वाली है. इस मामले को लेकर बीजेपी और जदयू के वरिष्ठ नेताओं की सहमति बन गई है. दोनों पार्टियां ये अनुभव कर रही हैं कि लंबे समय से पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता फिल्ड में निराश हैं और उन्हें कोई ना कोई पद देना जरूरी है.
दोनों दल लंबे समय से जुड़े मेहनती लोगों को बीस सूत्री समिति का सदस्य बनाएगी. जिससे कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर होने के साथ अधिकारियों की मनमानी पर लगाम लगेगी. इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और जिलों की विकास योजनाओं पर सरकार की सीधी नजर रहेगी.
एक जिले में उपाध्यक्ष सहित 24 सदस्य
आपको बता दें कि बीस सूत्री में एक जिले में उपाध्यक्ष सहित 24 सदस्य होते हैं. जो जिले में होने वाली विकास योजनाओं पर नजर रखने के अलावा अधिकारियों के साथ विकास की योजनाओं की समीक्षा बैठक करते हैं. अधिकारियों की मनमानी को पार्टी तक पहुंचाते हैं. जिसका फायदा आखिरकार सरकार को ही मिलता है.
बीस सूत्री का गठन हो जाने के बाद दोनों दलों को उम्मीद है कि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल बढ़ेगा. और ये कदम आनेवाले दिनों में दोनों पार्टियों के लिए सियासी रूप से लाभदायक होगा. दोनों दलों से हर जिले में बराबर बराबर कार्यकर्ता बीस सूत्री के सदस्य होंगे. 12-12 की संख्या में उनकी नियुक्ति होगी.
पार्टी कार्यालय के सूत्रों की मानें तो जिला में बीजेपी कोटे के मंत्री प्रभारी होंगे और बीस सूत्री के अध्यक्ष होंगे. और उस जिला के जदयू का उपाध्यक्ष होगा. जिस जिले में जदयू कोटे के मंत्री होंगे वहां बीजेपी कोटे का अध्यक्ष बनाया जाएगा.
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