
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के मामले में जेल की सजा को उनके साथ हो रहे अन्याय करार देते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव 10 फरवरी से न्याय यात्रा पर निकलने वाले हैं. न्याय यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा करेंगे और अपने पिता के साथ हो रहे अन्याय के मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे. तेजस्वी की इस यात्रा से पहले जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम से खुला खत लिखा है.
तेजस्वी की यात्रा से पहले जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि उन्हें अपनी यात्रा के दौरान बिहार की जनता को यह भी ब्यौरा देना चाहिए कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन काल में बिहार में विकास के कौन-कौन से कार्य हुए?
जदयू प्रवक्ता ने कहा, न्याय यात्रा के दौरान तेजस्वी को बताना चाहिए कि आरजेडी के 15 साल के शासन काल में शिक्षा, दलित, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए क्या योजनाएं चलाई गईं?
तेजस्वी को बताना चाहिए कि आरजेडी शासनकाल में छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए कौन सी योजनाएं चलाई गईं? जदयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी को इस बात का भी लेखा जोखा देना चाहिए कि आरजेडी शासनकाल में सड़क और बिजली जैसी बुनियादी चीजों की क्या हालत थी?
तेजस्वी जिन जिलों का दौरा करेंगे वहां उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उन जिलों में उनकी कितनी बेनामी संपत्ति है? नीरज कुमार ने तेजस्वी को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उन्होंने न्याय यात्रा शुरू करने से पहले आरजेडी शासनकाल के विकास कार्यों का विवरण प्रस्तुत नहीं किया तो जदयू जिलावार लालू राबड़ी शासनकाल तथा नीतीश कुमार शासन काल का अंतर जनता के बीच प्रस्तुत करेगी.
जदयू प्रवक्ता ने तेजस्वी के ऊपर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी यात्रा का नाम नीतीश कुमार के न्याय यात्रा के नाम की नकल करते हुए रखा है.
ये है ओपन लेटर
माननीय पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी जी,
सबसे पहले आपको अपनी पार्टी राजद के उपाध्यक्ष बनने पर बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं. आपके पुत्र और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद जी अपनी कथित 'संविधान बचाओ न्याय यात्रा' पर 10 फरवरी को जा रहे हैं. लेकिन यहां भी उनके उच्च शिक्षा नहीं ग्रहण करना, आड़े आ गया.
किसी विद्वान ने कहा है,
''विद्या सबसे बड़ा धन है, जीवन में और दूसर नाए।
मात-पिता दुश्मन बना, जो बच्चों को नहीं दिया पढ़ाए।''
खैर, यह गलती तो आप लोगों से हो गई. परंतु, यह सत्य है कि भारत का संविधान इतना कमजोर नहीं कि कोई उसे खराब या बर्बाद कर दे. यह देश का ग्रंथ हमारे पुरखों के बलिदान और उनके निःस्वार्थ कुर्बानी की देन है. इस कारण यह इतना कमजोर नहीं कि कोई इसे क्षति पहुंचा सके. आपके पुत्र ने अपनी यात्रा का नामकरण भी माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की यात्रा 'न्याय यात्रा' के नाम की नकल की है. खैर, तेजस्वी जी की मजबूरी है.
''करम है मूल जगत में, चंचल मन है अन्धकार।
ऊंच नाच के भरम में, जाए गिरे बीच मंझधार।।''
वे नेता बनने के भ्रम में मंझधार में फंस गए हैं. उनका कर्म उनका पीछा नहीं छोड रहा है. तेजस्वी जी, कुछ बोलने के पूर्व आप लोगों (लालू जी और आपके) के नेतृत्व में चली सरकार के कार्यकाल को भूल जाते हैं.
जद (यू) की अपेक्षा है कि तेजस्वी जिस जिले में अपनी यात्रा के दौरान पहुंचे, उससे पूर्व वे अपने पिताजी और माताजी के कार्यकाल के विकास कार्यों का ब्योरा भी प्रस्तुत करें. उन जिलों में राजद के शासन काल में अपराध, शिक्षा, दलित, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए चलाई गई योजनाओं, छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए चलाई गई योजनाओं, सड़क और बिजली जैसी बातों का भी लेखा-जोखा प्रस्तुत करें. इसके अलावे तेजस्वी जी यह भी बताएं कि उनके नाम कितनी बेनामी संपत्ति उन जिलों में है. आखिर यह न्याय यात्रा है.
यह जानना बिहार के लोगों का हक है और यही उनके साथ सच्चा न्याय भी है. पूर्व उपमुख्यमंत्री जी और आप, अगर इन ब्योरों को अगले 24 घंटे के अंदर नहीं प्रस्तुत कर सकते, तो जद (यू) अपने कर्तव्यों को निर्वाह करते हुए यात्रा के पूर्व जिलावार लोगों को दोनों सरकार में अंतर को बताने का कार्य करेगी.
आपसे निवेदन है, अब खुद तो नहीं परंतु अपने पुत्रों को सार्वजनिक जीवन में त्याग, धर्मनिपरपेक्ष और समाजवाद का पाखंड छोडकर, जाति के नाम पर लोगों को लड़ाने की रणनीति छोडकर आगे बढ़ने की सलाह दीजिए. वरना, बिहार के लोग राजद के शासनकाल को याद कर अब भी कहते हैं-
"ये जो तेरे हाथों में फूलों का गुलदस्ता है, वो मेरे पांव के कांटों पे बहुत हंसता है।"