
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच होने जा रही मुलाकात से पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जनता दल (यू) ने विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी है. पार्टी ने इन तीनों राज्यों और मिजोरम में अकेले लड़ने यानी बीजेपी के खिलाफ अपने प्रत्याशी खड़े करने का निर्णय लिया है.
इन राज्यों में जेडीयू का आधार बहुत कम है, लेकिन अकेले लड़ने के उसके इस निर्णय का प्रतीकात्मक रूप से काफी महत्व है. बीजेपी ने एमपी और छत्तीसगढ़ में चौथी बार सत्ता हासिल करने के लिए कमर कसा है और वहां चुनाव 2019 लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही हैं.राजस्थान में भी उसका काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है.
ऐसे में जेडीयू के इस कदम को दबाव की राजनीति माना जा रहा है ताकि बिहार में उसे बीजेपी लोकसभा के लिए 'वाजिब' सीटें देने को तैयार रहे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जेडी (यू) ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पार्टी का कहना है कि वह उन राज्यों में 'फिर से अपनी जड़ों की तलाश' करेगी जो राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादी नेताओं का गढ़ रहा है. जेडीयू अपने को लोहिया की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी मानती है.
जेडी (यू) के महासचिव के.सी. त्यागी ने अखबार से कहा, 'मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव अब समाजवादी एजेंडे से विचलित हो चुके हैं. इसलिए नीतीश कुमार ने उन जगहों पर फिर से जाने का फैसला किया है, जो कभी समाजवादियों के गढ़ हुआ करते थे.'
खबरों के अनुसार, 12 जुलाई को बिहार दौरे पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही बिहार में एनडीए के अन्य सहयोगियों से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है यह मुलाकात विपक्ष को यह संदेश देने की कोशिश भी है कि बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक है.
'संपर्क फॉर समर्थन' कार्यक्रम के तहत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना जा रहे हैं. माना जा रहा है कि शाह और नीतीश की मुलाकात बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की आगे की दिशा तय करेगी.
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव में जेडी(यू) ने प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से 25 पर दावा जताया है.