
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए. पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ जीतनराम मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, जो बिहार में एनडीए की सहयोगी है. इस तरह जीतन राम मांझी अपनी ही सरकार के खिलाफ बुधवार को धरने पर बैठ गए. एनडीए सरकार में शामिल होने के बावजूद जीतन राम मांझी के साथ पार्टी के कई बड़े नेता भी महाधरने में शामिल हुए.
इसे एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है. इस मौके पर जीतन राम मांझी ने कहा, 'मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की गई थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है. बिहार की एनडीए सरकार उन महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करे.'
सीएम नीतीश से मांझी की मांग
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि गरीबों-दलितों के आशियाने को उजाड़ने से पहले उन्हें बसाने का वैकल्पिक उपाय किया जाए. मांझी ने गरीबों-दलितों को पांच डिसमिल जमीन देने समेत न्यायपालिका में दलितों को आरक्षण दिए जाने की वकालत की.
'कई महत्वपूर्ण फैसलों को बदला गया'
इस मौके पर मौजूद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने कहा कि बिहार का हुआ विकास सभी लोगों के सामने है. मुख्यमंत्री भी विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा पर हैं और बिहार के विकास से रूबरू भी हो रहे हैं. जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री रहते हुए शुरू किए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनते ही बदल दिया. पार्टी ने कहा है कि जीतन राम मांझी के फैसलों को लागू कराने के लिए पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एकजुट हैं.
अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक मांझी
जीतनराम मांझी अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक हैं. नीतीश कुमार से अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और बीजेपी के साथ मिलकर 2015 का विधानसभा चुनाव लड़ा. चुनाव में तो एनडीए हार गई, लेकिन संयोग कुछ ऐसा बना कि बीजेपी और जनता दल यू की सरकार फिर से बन गई. अब जीतनराम मांझी अपनी जमीन तलाशने में लगे हैं. उन्हें केंद्र में सीट के साथ-साथ अपने बेटे के लिए बिहार में जगह चाहिए. ऐसे में वो बीच-बीच में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से भी मिलते रहते हैं.