
ब्राह्मणों को गाली देने वाले अपने बयान पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी अब पश्चाताप के मूड में आ गए हैं.
कुछ दिनों पहले मांझी ने ब्राह्मणों को यह कहकर गाली दी थी कि पंडित दलितों के यहां आकर पूजा पाठ करवाते हैं मगर उनके घर का खाना नहीं खाते हैं. साथ ही मांझी ने यह भी आरोप लगाया था कि यही पंडित इन गरीब लोगों के यहां खाना तो नहीं खाते हैं मगर उनसे नगद पैसा जरूर ले लेते हैं.
मांझी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में खलबली मच गई थी और खासकर ब्राह्मण समाज से जुड़े संगठन और नेताओं ने उन पर हल्ला बोल दिया था.
मांझी के विवादित बयान का असर यह हुआ कि उनके खिलाफ बिहार के कई थानों और अदालतों में शिकायत भी दर्ज कर दी गई और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई. हालांकि, मांझी ने ब्राह्मणों को गाली देने के बाद इस पूरे मसले पर माफी मांग ली थी मगर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है.
अब जानकारी मिल रही है कि मांझी 27 दिसंबर को पटना में अपने सरकारी आवास पर ब्राह्मणों और पंडितों के लिए भोज का आयोजन कर रहे हैं. मांझी के इस कदम से साफ है कि वह पूरे विवाद पर विराम लगाना चाहते हैं और पश्चाताप के मूड में है.
ब्राह्मणों और पंडितों को भोज कराकर जीतन राम मांझी यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने न केवल पंडितों और ब्राह्मणों को गाली देकर गलती की बल्कि पश्चाताप भी करना चाहते हैं.
मगर इस आयोजन में दिलचस्प बात यह है कि ब्राह्मणों और पंडितों को इस भोज में आमंत्रित करने के लिए उन्होंने एक शर्त भी रख दी है. मांझी ने शर्त रखी है कि इस भोज में केवल वैसे ब्राह्मण और पंडित ही आमंत्रित हैं जिन्होंने कभी मांस मदिरा का सेवन नहीं किया हो और ना ही कभी चोरी-डकैती जैसे कृत्यों में शामिल रहे हों.
हालांकि मांझी के इस कदम से एक नया विवाद भी पैदा हो सकता है क्योंकि उन्होंने ब्राह्मणों और पंडितों को भोज के लिए जो शर्त रखी है उससे कुछ और ही इशारा समझा जा रहा है .
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