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लालू के बेटों ने बनाया पुलिस थाने को पिकनिक स्पॉट

कोतवाली पुलिस ने दोनों को सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया, लेकिन थाने के अंदर जो नजारा दिखा वो किसी पिकनिक से काम नहीं था.

थाने में तेज प्रताप का जलवा थाने में तेज प्रताप का जलवा
दिनेश अग्रहरि/रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 21 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST

राष्ट्रीय जनता दल ने 21 दिसंबर को सरकार की खनन नीति के खिलाफ बिहार बंद का ऐलान किया था. गुरुवार आज सुबह से राजद कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह आगजनी की, वहीं, लालू के दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी यादव ने भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पटना के डाकबंगला चौराहे पर घंटों बंद का आह्वान करते रहे, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने दोनों को सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार भी किया, लेकिन थाने के अंदर जो नजारा दिखा वो किसी पिकनिक से काम नहीं था.

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बिहार बंद के दिन जगह-जगह राजद कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे, और बंद का आह्वान करने वाले लालू के दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी घंटो सड़क पर दिखे, लेकिन पटना के डाकबंगला चौराहा पर लालू के दोनों बेटों को कोतवाली पुलिस गिरफ्तार कर थाना ले आई. लेकिन सबसे पहले तेजप्रताप थाने पहुंचे और उन्हें दारोगा के कमरे गेट के पास ही चाय परोस दी गई. तेज प्रताप अपने अंदाज में थाने के अंदर चाय की चुस्की लेते नजर आये, जैसे लग रहा हो कि उन्हें मेहमान नवाजी के लिए उन्हें थाना बुलाया गया है, उसके तेज प्रताप को कोतवाली थाना में दारोगा की बगल वाली कुर्सी पर बैठाया गया.

तेज प्रताप ने अपने आगे की रणनीति के बारे में कहा कि सरकार हमारी मांग पूरा नहीं करती, तो आगे हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

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वहीं, जब तेजस्वी को थाने लाया गया तो उनके लिए राजद कार्यकर्ता दर्जनों टोकरी मिठाई लेकर थाने पहुंच गए और दारोगा के कमरे में मिठाई की टोकरी लेकर घुस गए जैसे लग रहा हो थाने में कोई जश्न मनाया जा रहा है और मिठाई की कई टोकरी दारोगा के टेबल पर सजा दी गई.

तेजस्वी ने मिठाई का आनंद नहीं लिया, मगर उनके बड़े भाई तेजप्रताप मिठाई का लुफ्त उठाते नजर आए. ऐसा लग रहा था कि वे कोतवाली थाने में गिरफ्तारी देने नहीं बल्कि पिकनिक मनाने आए हैं. तेजस्वी थाने में बैठकर दावा कर रहे थे कि उनका बंद सफल हुआ है और लोगों का भी खूब समर्थन भी मिला है.

लेकिन इन सब तस्वीरों को देखकर वह दौर याद आता है, जब लालू की सरकार बिहार में थी, तो ऐसे ही थानों में उनका राज चलता था. लेकिन लगता है कि लालू के रुतबे में कमीं नहीं आई है. 

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