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लैंड फॉर जॉब स्कैमः लालू-तेजस्वी को ED ने भेजा समन, मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए बुलाया

इस मामले में ईडी 11 अप्रैल को तेजस्वी से करीब 8 घंटे तक पूछताछ कर चुकी है, लेकिन यह पहली बार है जब ईडी ने लालू यादव को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया है. यह समन लालू प्रसाद परिवार के एक कथित "करीबी सहयोगी" अमित कात्याल से पूछताछ के बाद भेजा गया है.

लालू और तेजस्वी यादव को ED ने समन भेजा है (फाइल फोटो) लालू और तेजस्वी यादव को ED ने समन भेजा है (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

लैंड फॉर जॉब केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में पूछताछ के लिए समन भेजा है. तेजस्वी यादव को जहां 22 दिसंबर को दिल्ली में अपने कार्यालय में ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है, वहीं, लालू यादव को को बयान दर्ज करने के लिए अगले सप्ताह यानी 27 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा गया है.

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इस मामले में ईडी 11 अप्रैल को तेजस्वी से करीब 8 घंटे तक पूछताछ कर चुकी है, लेकिन यह पहली बार है जब ईडी ने लालू यादव को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया है. यह समन लालू प्रसाद परिवार के एक कथित "करीबी सहयोगी" अमित कात्याल से पूछताछ के बाद भेजा गया है. उन्हें नवंबर में ईडी ने गिरफ्तार किया था. बता दें कि ये घोटाला उस समय का है, जब लालू यादव UPA-1 सरकार में रेल मंत्री थे.

आरोप है कि 2004 से 2009 तक भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह "डी" पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और बदले में इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए के इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी. ईडी ने पहले एक बयान में दावा किया था कि कात्याल इस कंपनी के निदेशक थे, जब इस कंपनी ने लोगों से जमीन हासिल की थी.

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जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि कंपनी का रजिस्टर्ड एड्रेस D-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली है, जो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों का घर है. जांच एजेंसी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे, तब उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले में अमित कात्याल ने उक्त कंपनी में कई अन्य जमीनें भी हासिल की थीं. साथ ही कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण के बाद उक्त कंपनी के शेयर 2014 में लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को "हस्तांतरित" कर दिए गए थे.

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